आज विद्वानों, धार्मिक लोगों द्वारा बताने की जरूरत है कि शाकाहारिता से रोग नहीं आते
उज्जैन (म.प्र.)इस समय के पूरे समर्थ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि नियम के अनुसार जो काम करता है, वह नियमित होता है। अनियमित वो जो नियम से काम नहीं करता जैसे सुबह देर से उठना। वह अपने स्वास्थ्य के लिए ठीक काम नहीं करता है। और जो प्रातः काल ब्रह्ममुहूर्त में उठ गया, उसका स्वास्थ्य, दिल-दिमाग भी सही, ताजा रहता, भजन-ध्यान में मन लगता, शरीर में थकावट नहीं रहती। उसका जो दैनिक नियम है, वो चलता रहता है, नियमित काम करता है। और जो देर से उठता है, जिसका खान-पान, आहार-विहार का समय सही नहीं है, उसके लिए अनियमितता हो जाती है, आदमी का जीवन अनियमित हो जाता है जिससे तकलीफें होती हैं। आजकल अनियमित जीवन हो गया।
शाकाहारिता से रोग नहीं आते
इस धर्म देश की पौराणिक कथाएं, धार्मिक कथाएं, इनके बारे में (आजकल) कोई बताता है? पहले जितने भी (धर्म प्रचारक) थे, सब शाकाहारी थे, सब शाकाहारी का प्रचार करते थे, शाकाहारी लोगों को बनाते थे। लेकिन आजकल कोई विद्वान है, धार्मिक अपने को मानता है, धर्म का प्रचार करता है, उसको यह बात बतानी चाहिए कि शाकाहारी जीवन बिताना चाहिए। शाकाहारिता से रोग नहीं आते हैं। मदहोश कर देने वाली चीज शरीर के सिस्टम को बिगाड़ देती हैं। जो शराब पी लेते, नशे की गोलियां खाते, नशे वाली जड़ी-बूटियां खाते, उनके शरीर के सिस्टम में तेजी आ जाती है। नींद आने वाली चीजें भी इसी प्रकृति में है। जो आदमी होश में नहीं रह जाता, वही तो नींद होती है। वही जब इस्तेमाल कर लेते हैं, होश में नहीं रह जाता तो गिर जाते हैं। शराब गांजा अफीम भांग के नशे में गिर गए, हाथ-पैर तक टूट जा रहा है। इनको बताने समझने की जरूरत है। यह चीज मनुष्य के लिए नुकसानदेह है। अगर यही आदत बनी रही तो यह रोग ज्यादा फैल जाएगा। रोग ज्यादा हो जाने पर दवा भी कम फायदा करती है क्योंकि दवा खाते-खाते खुराक बन जाता है। फिर दूसरी, तीसरी दवा खोजनी पड़ती है। यह जड़ी-बूटियां, आयुर्वेद है, इसको लोग भूलते चले जा रहे हैं क्योंकि समय लोगों के पास नहीं है।
काम, औरत, बच्चों धन दौलत के पीछे कितना रिस्क ले रहा है आदमी
अभी यह कह दिया जाए की मौत तुम्हारे सामने खड़ी है, मौत को क्यों दावत दे रहे हो, उधर क्यों जा रहे हो तो भी आदमी नहीं मानता है। अपने काम, बच्चे, औरत, धन-दौलत के लिए कितना रिस्क ले रहा है आदमी, मौत को भी भूल जा रहा है। आज विद्वानों, लोगों, आयुर्वेद वालों, सरकारों को चाहिए कि इनको बढ़ाया जाए, इसका ज्ञान कराया जाए, लोगों को बताया जाए, नियम-संयम लोगों को सिखाया जाए। जो प्रकृति ने दिया, ऋषि मुनियों, जानकारों ने बताया है उसको बताया जाए।
स्वस्थ शरीर व सुखी जीवन का फार्मूला
शरीर को स्वस्थ रखने के लिए सरल तरीका यह है कि नियम-संयम समय से रहना, समय से खाना, उठना, शाकाहारी भोजन खाना, (भूख से) थोड़ा कम खाना। टेंशन न हो, पैसा ज्यादा खर्च न हो, परेशानी न हो, दौड़-धूप ज्यादा न करनी पड़े उसके लिए लड़ाई, झगड़ा-झंझट को हटाना, दूर रखना, यह सब सुखी जीवन की चीज हैं।