जब तक जयगुरुदेव नाम देश-दुनिया में न फैल जाए और जब तक काम न हो जाए तब तक प्रेमीयों चुप नहीं रहना है
उज्जैन (म.प्र.)जिन्हें आज लोग नहीं पहचान पा रहे हैं, ऐसे वक़्त के पूरे समरथ सन्त, शब्दभेदी गुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त महाराज जी ने 11 अगस्त 2020 उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि जो भक्त साधक होते हैं, वो गुरु से छोटी चीजों को नहीं मांगते हैं। ऐसी चीजों को नहीं मांगते हैं, जिसमें वह फंस जाए, जो चीज उनको फंसा ले, ऐसी दुनिया की चीज को नहीं मांगते हैं। उनके अंदर संतोष धन आ जाता है। हीरा-मोती, रुपया-पैसा यह धन कभी नहीं मांगते हैं। जो मिल जाता है, उसी में गुरु की दया समझते हैं। सोने की जहां जगह मिल गई, उसी में दया समझते हैं। जाहि विधि राखे गुरु, वाही विधि रहिए। जिस तरह से गुरु रखे, उसी तरह से रहने लगते हैं। दूसरी बात यह है कि मोह न नारी, नारी कर रूपा और पनगारि यह चरित्र अनुपा। माया और भक्ति दोनों इकट्ठा नहीं रहती है। कहते हैं दोनों सौतन है। अक्सर मुफलिसी गरीबी का ही जीवन भक्त, सन्त लोग बिताते हैं।
निंदक नियरे राखिए आंगन कुटी छवाय
महाराज जी ने 21 फरवरी 2020 प्रातः लखनऊ (उ.प्र.) में बताया कि राम ने इतना बड़ा काम बंदर-भालूओं से ले लिया था। अयोध्या के पढ़े-लिखे लोगों ने क्या उनका साथ दिया? विद्वानों की नगरी कहलाई जाने वाली अयोध्या, और कोई उनकी तरफ घूम कर देखा भी नहीं। आवाज लगाया था राम ने, अयोध्या वासियों! धर्म की स्थापना के लिए जा रहा हूं, लेकिन कुछ नहीं। जब सीता का अपहरण हो गया तो और मजाक उड़ाने लगे, अरे गए और औरत को भी गवां दिया। तो जगत भगत का बैर है, चारों जुग प्रमाण। आपकी अगर आलोचना होने लग गई तो समझ लो कर्म आपके कटने, बंटने लग गए। इसलिए कहा गया है- निंदक नियरे राखिए, आंगन कुटी छवाय। निंदक को पास में रखना चाहिए, वो आपके कर्मों का खाता, चाटता रहे। तो प्रेमियों आप एकदम से निर्भीक होकर के जयगुरुदेव नाम को बोलो ताकि जब लोगों के कानों में पड़े तो यह जगह बनावे। अगर कोई गाली भी देता है तो समझ लो, जयगुरुदेव नाम काम कर रहा है। पानी, दूध और खून से भरे गिलासों में जब कोई सिक्का डालोगे तो जिसमें जो भरा है, वोही तो बाहर निकलेगा। जिसके अंदर गंदगी होगी वही तो निकलेगा। कोई तारीफ भी करेगा, बुलायेगा, कहेगा कि बहुत अच्छा काम कर रहे हो, लोगों को शाकाहारी नशा मुक्त बना रहे हो, अच्छा समाज बना रहे हो, देशभक्ति ला रहे हो, आओ बैठो पानी पी लो, तो जिसके अंदर अच्छाई होगी वो निकलेगी और बुरे आदमी के अंदर से बुराई निकलेगी। तो यह जयगुरुदेव नाम जगह बनायेगा। इसलिए बराबर जयगुरुदेव नाम का डंका बजाते रहो। जब तक यह जयगुरुदेव नाम देश और दुनिया में न फैल जाए और जब तक काम न हो जाए तब तक प्रेमीयों चुप नहीं रहना है। यह जयगुरुदेव नाम प्रभु भगवान का नाम है। आजमाइश करके देख लो। रात को सोने के लिए जब जाओ, जयगुरुदेव नाम की ध्वनी बोल करके फिर सो जाएं। जब तक नींद न आवे, जयगुरुदेव नाम की ध्वनी बोलते ही रहे। अगर कर्म अच्छे होंगे तो सद्बुद्धि आ जाएगी नहीं तो कर्म कटेंगे तब आएगी। मेहनत आपकी बेकार नहीं जाएगी। कहते हैं- बुरे से घृणा मत करो, बुराई से घृणा करो। किसी के अंदर बुराई आ गई, उसको आप बुराई छुड़ाओगे नहीं तो वह कैसे निर्मल बनेगा? अपने ही तो सब है। कोई गैर है? अपना बच्चा जब कीचड़ में गिर जाता है तो धो कर साफ करते हो। ऐसे ही सब अपने हैं। कोई बताने वाला नहीं मिला, गलत साथ पड़ गया तो भटक गए। आपका साथ पड़ जाएगा तो सुधर जाएंगे। बराबर जयगुरुदेव नाम के बारे में बताते रहो। यह इस वक्त का महामंत्र है। याद कर लो और लोगों को भी याद करा दो। ऐसे बोलना, बुलवाना रहेगा- जयगुरुदेव जयगुरुदेव जयगुरुदेव जय जयगुरुदेव।
शब्द में बहुत ताकत है
महाराज जी ने 13 नवंबर 2020 प्रातः उज्जैन आश्रम में बताया कि शब्द जो उतर रहा है, अभी आपके पकड़ में नहीं आ रहा है तो पकड़ में आ जाएगा। तो जिस तरह से नीचे से सिमटाव होता है, उसी तरह से ऊपर से भी सिमटाव होता जाएगा। शब्द में इतनी कशिश, ताकत है कि वह शब्द खींचता हुआ चला जाएगा। जितने भी ऊपर के लोक हैं, चाहे शिवलोक, ब्रह्मालोक, विष्णुलोक, आद्यामहाशक्ति का लोक और चाहे निरंजन का लोक हो और चाहे ब्रह्म पार बह्म का लोक हो, सब खिंच जाता है। भंवर गुफा पर रुकावट आती है, लेकिन जब गुरु की दया होती है, जो गुरु भक्त होता है, उसके काम में वह भी बाधा नहीं डालते हैं। वह भी रोकते तो हैं, आखिरी नाका वही है, लेकिन वह रोकने पर ज्यादा जोर नहीं देते हैं तब यह (जीवात्मा आगे) निकल जाती है, अपने घर अपने मालिक के पास पहुंच जाती है। लेकिन सन्तमत में मुख्य चीज है कि सन्त सतगुरु की बातों पर विश्वास करना। विश्वास अगर नहीं किया जाएगा तो भक्ति कच्ची रह जाएगी। भक्ति में परिपक्वता, मजबूती होनी चाहिए।
यही घट भीतर सात समुंदर
महाराज जी ने 27 अप्रैल 2021 प्रातः उज्जैन आश्रम में बताया कि जो आपको रास्ता बताया गया है- सुमिरन, ध्यान, भजन करने का, वह जब आप करने लगोगे तो अंदर में ही यह सब नदियां बहती हुई दिखाई पड़ेगी। सन्तों ने कहा कि अंदर में ही स्नान करो। कहा है- यह घट भीतर सात समुंदर यही में मल मल नहाओ, मन मौरा विदेशवा न जाओ, घर ही है चाकरी। प्रेमियों! जब भजन ध्यान सुमिरन जब आप करते रहोगे और परहेज के साथ खान-पान रखोगे, शाकाहार और नशामुक्त रहोगे तब आपको शरीर के लिए ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं रहेगी। साथ का भी असर होता है। आप पूर्ण शाकाहारी हो, घर में कोई रिश्तेदार मांसाहारी निकल गया, उसका साथ पड़ गया, मांसाहारी शराबियों बुरे लोगों का साथ पड़ गया तो भी कर्म आ जाते हैं। इसीलिए हमेशा बचना चाहिए। देखो जब मालिक को, गुरु को भूल जाओगे और खुद करने की जब कोशिश करोगे तब आप सफल नहीं हो पाओगे। इसलिए हमेशा गुरु को, मालिक को, नाम को याद रखने की जरूरत है। यह नाम आपका हथियार है। इससे आप बड़ी-बड़ी लड़ाइयां जीत सकते हो। इसीलिए नाम की कमाई बराबर करते रहो। नाम को मत भूलो और शरीर का, खानपान का, चरित्र का विशेष ध्यान रखो कि वहां कोई गलती न बनने पावे।