सुदामा चरित्र सुनकर भावुक हुए श्रोता-

गोंडा। आपको बता दे की बरियर पुरवा- ददुवा बाजार में चल रही कथावाचक आचार्य अयोध्या धाम से पंडित सुरेंद्रनाथ शास्त्री जी ने बताया कि कितनी भी विषम परिस्थिति क्यों न हो भगवत भजन कभी नहीं छोड़ना चाहिए। श्रद्धा और नि: स्वार्थ पूर्वक की गई साधना कभी व्यर्थ नही जाती है। प्रभु की करुणा भक्त पर जरुर बरसती है। भगवान भाव के भूखे होते हैं।गरीबों ,असहायों की मदद करना ही सभी लोगों का उद्देश्य होना चाहिये।

कथा व्यास ने सुदामा चरित्र व परीक्षित मोक्ष सहित बिबिध कथा प्रसंगों का बड़े ही रोचक अंदाज में वर्णन किया।

कथा के दौरान कथावाचक ने श्रोताओं से भागवत को अपने जीवन में उतारने की अपील की। साथ ही सुदामा चरित्र और झांकी के माध्यम से श्रोताओं को श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता का वर्णन करते हुए कहा कि मित्रता कृष्ण और सुदामा जैसी होनी चाहिए।कहा कि सुदामा एक गरीब ब्राह्मण थे। और भिक्षा मांगकर अपने परिवार का जीविकोपार्जन करते थे। कभी-कभी तो उन्हें अपने परिजनों के साथ भूखे पेट ही सो जाना पड़ता था, लेकिन उसके बाद भी उन्होंने अपना धर्म नही छोड़ा और भगवत भजन करते रहे। पत्नी के बार-बार कहने पर वे अपने बाल सखा द्वारकाधीश के पास गए। अंत में प्रभु ने बिना मांगे ही उन्हें सब कुछ दे दिया। अंत में भगवान श्रीकृष्ण के दिव्यलोक पहुंचने का वर्णन किया।

भागवत कथा का संचालन कर रहे शुभम गुप्ता,व राधेश्याम गुप्ता, घनश्याम गुप्ता, शिवकुमार गुप्ता, लल्लू गुप्ता, आयुष गुप्ता, सिद्धि गुप्ता, निधि गुप्ता, विष्णु गुप्ता, दीपक, अमित, अंश, हजारों की संख्या में श्रोतागण उपस्थित रहे ।

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