आर पी यादव ब्युरो कौशाम्बी
कौशाम्बी। नागरिकता संशोधन अधिनियम जिसे सीएए के रूप से भी जाना जाता है यह कानून पड़ोस के गैरधर्मनिरपेक्ष देश में अल्पसंख्यकों की रक्षा कर भारत की धर्मनिरपेक्षता के प्रति देश की आस्था और प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है। यह कानून तय करता है कि कैसे भारत के मूल से जन्मे धर्म जिन में से हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख जैसे धर्म के मानने वालों को उत्पीड़न और सामूहिक नरसंहार से इन्हे बचाया जा सके। उक्त बातें शुक्रवार को सिराथू विधानसभा के हाजीपुर पतौना गांव में आयोजित विचार गोष्ठी में अपने विचारों को व्यक्त करते हुए समाजसेवी वेद प्रकाश सत्यार्थी ने कहीं। इस मौके पर विभिन्न धर्म को मानने वाले बौद्धिक वर्ग के लोग मौजूद रहे।
इस मौके पर उन्होंने कहा कि इस देश में कानून इस कानून को लेकर देश के मुसलमान को चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। क्योंकि यह है बिल किसी भी अल्पसंख्यक का कोई भी नुकसान नहीं करता है इससे कुछ विदेशी लोगों को नागरिकता मिलती है जो प्रताड़ना के कारण भारत में आए हैं। जिनमें से प्रमुख रूप से हिंदू सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई एवं पारसी धर्म को मानने वालों को नागरिकता देने का सवाल है। यह नागरिकता देने का बिल है किसी की नागरिकता चीन का नहीं वास्तविकता यह है कि इस बिल का भारत के मुसलमान की नागरिकता से कोई भी संबंध नहीं है। यह कानून किसी भी मुसलमान की नागरिकता को छूट तक नहीं सकता है। एक सोची समझी राजनीतिक चाल के तहत इस कानून को बदनाम करने के लिए किसके खिलाफ देश विरोधी तत्वों ने प्रोपोगंडा चलाया है।
आज भारत की धर्मनिरपेक्ष राजनीति के लिए यह कानून बहुत ही जरूरी है। इस मौके पर सभी मौजूद लोगों ने भारत में राष्ट्रवादी विचारधारा के साथ मजबूती से चलने की शपथ उठाई साथ ही भारत को टुकड़े-टुकड़े में देखने की साजिश और देश के खिलाफ चलने वाले लोगों के खिलाफ संगठन के तहत मजबूत विचारधारा के साथ देशभर में महिम चलाने की बात कही गई। इस मौके पर प्रमुख रूप से असगर मदनी, सतीश बौद्ध, आदित्य कुमार जैन ने अपनी बातों को रखा।