संवाददाता राधेश्याम गुप्ता
उतरौला बलरामपुर ।प्रधानाचार्य के द्वारा मां वाग्देवी के चित्र पर माला पहनाकर एवं पुष्प अर्पित करके धूप,अगरबत्ती,कपूर व दीप प्रज्ज्वलित कर “या कुन्देन्दु तुषारहारधवला, या शुभ्रवस्त्रावृत्ता, या वीणावरदण्डमण्डितकरा, या श्वेतपद्मासना से स्तुति व वंदना किया गया। तत्पश्चात प्रसाद का वितरण किया गया। बसन्त पंचमी के महात्म्य के सम्बन्ध में प्रधानाचार्य केके सरोज ने कहा कि बसन्त पंचमी का पर्व हिन्दू कैलेंडर के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की पांचवीं तिथि को मनाया जाता है।
बसन्त पंचमी का त्योहार विद्या, ज्ञान, कला व वाणी की देवी मां सरस्वती की पूजा का पवित्र दिन है। बसन्त पंचमी सिर्फ बाहरी उत्सव नही है, अपितु यह हमें गहरे संदेश भी देती है। ठीक उसी तरह जैसे बसन्त में पेड़ पुराने पत्ते गिराकर नए पत्ते उगातें हैं। चारों तरफ पुष्प पल्लवित एवं पुष्पित होने लगते हैं। प्रकृति गुलजार व हरीभरी हो जाती है। उसी प्रकार यह पर्व मनुष्य को भी अपने जीवन में नवीन उत्साह एवं उमंग लाने की प्रेरणा देता है। शिक्षक दुर्गा प्रसाद ने कहा कि बसन्त पंचमी का त्योहार प्रकृति का जागरण व ज्ञान के प्रकाश का पर्व है। इस अवसर पर शिक्षक दुर्गा प्रसाद,यशपाल सिंह, दुर्गेश कुमार, प्रधान लिपिक अमरेश पाण्डेय, मंगल प्रसाद, राजेंद्र त्रिपाठी, वीरेन्द्र कुमार सहित अन्य लोग मौजूद रहे।