खोजो, समरथ गुरु कौन हैं, किससे हमारा भला हो सकता है, देखो, समझो, तौलो, जानो, पहचानो और फिर मानो, खोजोगे तो मिल जायेंगे

समरथ सतगुरु समस्याओं को निर्मूल यानी स्थाई रूप से खत्म करते हैं

उज्जैन (म.प्र.)सब तरह की समस्याओं का स्थाई समाधान बताने वाले, भक्तों के हर संकट में मददगार, उनकी हर परीक्षा में पास होने वाले, आत्मा की डोर को उस मालिक अनामी तक पहुंचा देने वाले नामी, वक़्त के पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 1 अक्टूबर 2020 प्रातः उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि यह काल का देश है। यह नाटकशाला है। यहां पर नाटक करने के लिए, नाटक दिखाने के लिए उन्होंने यह सब बना रखा है। तो आप उसी में फंस जाओगे, उसी में विश्वास कर लोगे। लेकिन गुरु का स्थान ऊंचा रहा है। गुरु हमेशा रहे हैं। गुरु की शक्ति यानी मनुष्य शरीर में वह मालिक प्रवेश करता है और उनको वह आदेश, शक्ति, पावर मिल जाती है। उनके (मालिक के) आदेश का जो पालन करते हैं, उनकी शक्ति लेकर के जो काम करते हैं, उनको समरथ गुरु कहा जाता है, उनको लोग गुरु मान लेते हैं। गुरु का काम बहुत लोग करते हैं और गुरु बनना भी आजकल आसान है। हर गुरु कुछ न कुछ जानकारी करता है। और थोड़ी-बहुत जानकारी (इल्म) जिसे हो जाता है, गुरुवाई करने लगता है। पहले तो चेला बनता है। अब जिस तरह का गुरु मिला, जिस तरह से इल्म, शिक्षा लिया, वही काम चेला भी करने लग जाते हैं। कुछ तंत्र विद्या जानते हैं, कुछ हस्त रेखा जानते हैं, कुछ और तरह का जानते हैं। तो उससे भी फायदा होने लगता है। बता देते हैं कि आप इस तरह का पत्थर पहनो, हवन करो, पूजा करो आदि तो कुछ न कुछ फायदा सबको होता है तो आदमी विश्वास कर लेता है लेकिन समस्या नहीं जाती है। जब तक जड़ से समस्या नहीं जाएगी, जब तक मानसिक शांति नहीं मिलेगी, जब तक रोग का विनाश नहीं होगा तब तक अनजान डॉक्टर से आप दवा करते रहोगे तो थोड़ा फायदा तो मिलेगा लेकिन रोग बीच-बीच में उभर करके आ जाएगा। जब मौसम अनुकूल मिलेगा उसको तो वो मर्ज जो शरीर में अंदर पड़ा रहता है, वही ऊभर करके फिर आ जाता है। ऐसे ही कर्म जब तक नहीं कटते हैं तब तक कर्म बीच-बीच में आ जाया करते हैं। और जब कर्म बिल्कुल कट जाते हैं तब निर्मलता आ जाती है, कष्ट दूर हो जाते हैं। बुरे कर्म आने पर सजा मिलने लगती है। समरथ गुरु समस्याओं को निर्मूल (खत्म) कर देते हैं, अंदर में निर्मलता लाते हैं। उस मालिक की दया लेकर के उनके (भक्तों के) कर्मों को काटते हैं और ज्यादातर तो उनसे ही कटवाते हैं। जो जैसा जीव होता है, उस हिसाब से उससे सेवा करवाते हैं। हाथ, आंख, नाक, कान से कर्म कटवाते हैं, भजन करवाते हैं, सतसंग सुनाते हैं। उसके मन के ऊपर जिस तरह की बातों की चोट पड़ेगी, असर पड़ेगा, वैसा सतसंग उसे सुनाते हैं और फिर उसको बदल देते हैं। और जब बदल जाता है, अपनी आदतों में सुधार ले आता है तब उपाय बता देते हैं कि इस तरह से अब आपको मालिक का दर्शन हो सकता है, वह सर्वव्यापी सर्वशक्तिमान आपको मिल सकता है। जैसे पूजा-पाठ करने के लिए बहुत से लोग बताते हैं कि जमीन को लीपो, फूल-पत्ती लाओ, जौ, तिल, मेवा, घी आदि इकट्टा करो, फिर आग में डालो, हवन करो। इससे निकले धुएं से देवता खुश होंगे तो मदद करेगे। ऐसे ही एक तरह से प्लेटफार्म तैयार होता है। फिर गाड़ी आती है, प्लेटफार्म पर खड़ी हो जाती है। ऐसे ही जीवन की गाड़ी को सुचारू रूप से चलाने के लिए आत्मा के कल्याण के लिए समरथ गुरु रास्ता दिखाते, बताते हैं। आप बहुत से लोगों को गुरु महाराज जैसे समरथ गुरु मिले हैं तो आपको उन पर विश्वास करना चाहिए, उनके बताए रास्ते पर चलना चाहिए। विश्वास अगर आदमी को नहीं होगा तो फल मिलने वाला नहीं है। तब तो यह मन विचलित होता रहेगा। जब लड़खड़ाती हुई गाड़ी चलती है, कोई भी चीज लड़खड़ाती हुआ चलेगी तो कब गिर या रुक जाए, उसका कोई ठिकाना नहीं है। ऐसे ही यह डगमगाने वाला मन, कहां शरीर रूपी गाड़ी को ले जाए, गड्ढे में गिरा दे, कटवा दे, मरवा दे, शरीर से अपराध करवा करके जेल में बंद करवा दे, सजा दिलाने लग जाए। मन का कोई ठिकाना नहीं है। इसलिए मन में जब तक स्थिरता, स्थाईत्व नहीं आएगा तब तक इस शरीर से क्या हो जाए, इसका कोई ठिकाना नहीं है। मन को पकड़ने (वश में करने) का, सुधारने का, मन से अच्छा काम कराने का चीमटा (संडसी) समरथ गुरु, सच्चे गुरु (जो जानकार होते हैं) उनके के पास होती है तो मन ऐसे वश में आएगा।

गुरु करे जानकर, पानी पिये छानकर

महाराज जी ने 24 जुलाई 2020 सांय उज्जैन आश्रम में बताया कि प्रेमियों! आप भाग्यशाली हो कि आपको गुरु महाराज जैसे गुरु मिल गए। अब आपके अंदर, अंतर में गुरु से मिलने की तड़प जगनी चाहिए। अंतर में ऊपरी लोकों में जाने की तड़प होनी चाहिए। उस मालिक से, जिसकी आप बूंद, अंश हो, जिसके आप बंदे हो, उनसे मिलने की तड़प आपके अंदर जगनी चाहिए। आप उसके लिए अभ्यास करो। आप उसको पाने की इच्छा जताओ और जिन लोगों को नामदान नहीं मिला है आप नाम दान लो। देखो, खोजो, समरथ गुरु कौन हैं, किससे हमारा भला हो सकता है, किसके अंदर गुरुओं के लक्षण है। उनको आप देखो, समझो, तौलो, जानो, पहचानो और फिर मानो। कहते हैं- गुरु करे जानकर, पानी पिए छान कर। गुरु को ऐसे ही नहीं कर लेना चाहिए। आज करते हैं, कल छोड़ देते हैं। जैसे आज बहुत से जगह पर विदेशों में दिन में शादी किया और शाम को छोड़ दिया। कितनी शादियां रोज करते, रोज छोड़ते हैं। लेकिन जो शादी का मतलब समझ जाता है, देवताओं को साक्षी बनाकर के भारतीय रीति रिवाज से जो दूसरे की कन्या को लाता है, हाथ पकड़ करके जिंदगी भर साथ निभाता है। कुछ न कुछ कमियां सब में रहती है। अगर कमी न रहे तो वही भगवान हो जाए। तो कमी अगर एक-दूसरे में होती है तो उसको निभा भी लेता है आदमी। क्योंकि एक बंधन में बंधा हुआ रहता है, बंधन को तोड़ नहीं सकता है। बंधन में अगर आप बंधोगे, खोज करके, जान करके, समझ करके फिर आप करते भी रहोगे। और जहां बंधन में नहीं बांधा जाता है, वहां अगर चले जाओगे, जिनको दिखावा पसंद है, जो मोटे-तगड़े तंदुरुस्त गुरु को चाहते हैं, बहुत दिखावे की चीजें जहां रहती है, उनको अगर चाहते हैं। जहां जाने पर ए.सी. कमरा मिले, हर तरह की सब्जी पुआ मलाई मिले, जो उनको (सुविधाओं को) चाहते हैं, वह बुराइयों को नहीं छुड़ा पाते हैं। सीधी बात बोलने में उनको संकोच होता है कि कैसे बोले, यह बड़े आदमी है, यह ऊंचे पद पोस्ट पर है, यह नाराज हो जाएंगे, आना-जाना बंद कर देंगे, यह हमको सजा दे देंगे। लेकिन जिनको इन चीजों की फिक्र नहीं रहती है, वह तो इस बात को बताएंगे ही कि कितना भी पूजा, उपासना, वेद, मंत्र पढ़ लो लेकिन जिससे पढ़ो, जिससे पूजा उपासना करो, वह मानव मंदिर अगर गंदा होगा, गंदी जगह से पूजा उपासना मालिक को कबूल नहीं होगी। इसलिए वह तो बोलेंगे कि भाई इस (मनुष्य शरीर) को गंदा मत करो। इसके अंदर मुर्दा मांस मत डालो। जब यह गंदा हो जाएगा तो इससे की गयी कोई पूजा उपासना कबूल नहीं होगी। तो सबसे पहले अपनी सफाई करो। इसको शुद्ध बनाओ। होश में जब नहीं रह जाओगे और इस शरीर से गलत काम कर बैठोगे और पाप तुम्हारे ऊपर आ जाएंगे, जिनको जघन्य पाप कहा गया, मानव हत्या, जीव हत्या करोगे तो उसकी सजा मिल जाएगी। पाप तुम्हारे इकट्ठा हो जाएंगे। और अगर तुमको कोई चीज दिया भी जाए, बताया भी जाए तो उसकी कदर नहीं करोगे। बुद्धि खराब हो जाएगी। इसलिए सबसे पहले इस शरीर का शुद्धिकरण करो। मांस, मछली, अंडा, किसी भी पशु-पक्षी का मुर्दा, मांस शरीर के अंदर मत डालो। किसी तरह का नशा, जिससे आदमी होश में न रह जाए, मत करो। अभी तक जो किया, उसके लिए उस मालिक से माफी मांगो और उसको अब से न करने का संकल्प बनाओ। और फिर उस प्रभु से प्रार्थना करो कि अब हमको आप अकल बुद्धि दो। अब हमको ऐसे गुरु के पास पहुंचा दो कि जहां हमको नाम मिल जाए, नाम की डोर हमारे हाथ में आ जाए। आत्मा की डोर को पकड़ा करके नामी उस मालिक अनामी तक पहुंचा दें तो मिल जाएगा।

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