इस समय पर अपने कर्मो के आधार पर इंसान बारूद के ढेर पर खड़ा, कब कहा क्या हो जाए कुछ कहा नहीं जा सकता

लोगों को समझाओ, प्रकृति व भगवान के खिलाफ काम न करे, नामदान रूपी कील पकड़ा दो

दुश्मन के लिए बार्डर का पहला जिला जैसलमेर, कोई अनहोनी शुरू हो गई तो सोचो क्या होगा

न्यूज डेस्क यूपी फाइट टाइम्स

जैसलमेर (राजस्थान)कृपा सिन्धु नर रूप हरी, यानी नर के रूप में आये हुए हरि, स्वयं सतपुरुष के तदरूप, जिन्हें आज भी बहुत से लोग अभी तक पहचान नहीं पाए हैं और गफलत में मनुष्य समझ रहे हैं, परालौकिक पांच नामों का नामदान देने के लिए एकमात्र अधिकृत, इस वक़्त के मसीहा, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 14 सितम्बर 2023 सायं जैसलमेर (राजस्थान) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि गुरु के आदेश का पालन ही गुरु भक्ति होती है। पुरानों को भी समझता रहता हूं। गुरु को मानुष जानते ते नर कहिए अंध, महा दुखी संसार में आगे यम का फंद। गुरु को मनुष्य मत समझो। उस समय पहले जो भी समझे, आप समझे लेकिन अब लेकिन उनके वचनों को पकड़ लो। सुबह-शाम ध्यान भजन करने के लिए उन्होने जो कहा, वह करो। नाम की कमाई करो, जो नाम वह देकर गए। मन तू भजो गुरु का नाम। गुरु महाराज ने जो नाम दिया, उस नाम को आप जपो, ध्यान भजन और उनके आदेश का पालन करने लग जाओगे, उनके लोगों को शाकाहारी नशा मुक्त बना करके सतयुग दिखाने के अभियान में लगो। शरीर से ही पाप होता है और शरीर से ही कर्मों को काटा जाता है। शरीर से कर्म कैसे कटते हैं? सेवा के द्वारा। यह भी बहुत बड़ी सेवा है कि भटके हुए को रास्ता बताना, मौत के घाट पर से लोगों को बचा लेना, फांसी पर लटकने से पहले बचा लेना, बहुत बड़ा पुण्य का काम होता है।

इस समय पर अपने कर्मो के आधार पर इंसान बारूद के ढेर पर है खड़ा

इस समय पर देखो इंसान अपने कर्मों के आधार पर बारूद के ढेर पर खड़ा हुआ है। कभी भी आग लग जाए, ध्वस्त हो जाए। इस समय कब कहां क्या हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता है। आपका जैसलमेर जिला बॉर्डर का जिला है। बॉर्डर के जिले के बाहर कौन लोग रहते हैं, उनसे देश के कैसे संबंध है, ये जो पढ़े-लिखे लोग आप हो, समझते हो। अगर कोई बात, कोई अनहोनी शुरू हो गई तो जैसलमेर और जैसलमेर वालों का क्या होगा? यह तो दुश्मनों के हमले में भारत देश का बॉर्डर पर सबसे पहला जिला पड़ेगा। तो सोचो क्या होगा। दो पाटों के बीच में साबुत बचा न कोय, चलती चक्की देखकर दिया कबीरा रोय।

सत्य अहिंसा परोपकार सेवा ही मूल धर्म है, यही लोगों को धारण करा दो

कबीर साहब ने जब (हाथ की) चक्की देखा, उसमें दो पाटे होते हैं। उसमें गेहूं पिस जाते हैं लेकिन बीच में एक लोहे की कीली होती है, एक आधार होता है। उसके किनारे-किनारे जो गेहूं होते हैं वो सब पिसने से बच जाते हैं। कील सहारे जो रहे, सो साबुत बच जाए। कील के सहारे जो रहता है वह बच जाता है। तो आप भी कील पकड़ा दो। कील क्या है? यही नाम (नाम का दान) जो (सतसंग में) बताया जाएगा। यही सत्य अहिंसा परोपकार सेवा ही मूल धर्म है। यही लोगों को धारण करा दो। प्रकृति, भगवान के खिलाफ लोग काम न करें, समझा दो। आप नए-पुराने सब लोग ये काम कर सकते हो। जीवों की रक्षा कर सकते हो। पुराने लोग जितने भी हो, गुरु के वचन को पकड़ो, आपके संभाल की बात यही है।

राम भगवान भी महिमा नही गा सकते वो नाम बताऊंगा

नयों को नाम दान दिया जाएगा। वह नाम बताया जाएगा जिसके लिए गोस्वामी जी महाराज ने कहा- राम न सकहि नाम गुण गाई, कहां लग करूं मैं नाम बड़ाई। कहां तक मैं नाम की महिमा गांऊ? राम भगवान भी नाम की महिमा नहीं गा सकते हैं। वह नाम आपको बताऊंगा, जिसके लिए कहा गया- नाम रसायन पीजिए, यह अवसर यही दाव, फिर पीछे पछतायेगा, जब चला चली होई जाव। वो पांच नाम बताऊंगा जो दुनिया की तकलीफ़ में आराम दिलाएगा और आत्मा का भी कल्याण करेगा। आयुर्वेद के वैध जी लोग बताते हैं दवा और रसायन में अंतर। तो यह नाम रसायन का काम करेगा।

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