सैनिक स्कूल तिलैया – राष्ट्र निर्माण का अहम् भागीदार

सैनिक स्कूल तिलैया – राष्ट्र निर्माण का अहम् भागीदार।

सलिल सरोज
कार्यकारी अधिकारी
लोक सभा सचिवालय
नई दिल्ली

पुटुस से पटे हुए सड़क के दोनों किनारे। मुख्य दरवाजे पर बारिश से भीगा तोप। अंदर घुसते ही, बाईं तरफ छोटी-छोटी दकानें, जो एक बोर्डिंग स्कूल में रह रहे बच्चोँ की छोटी-बड़ी जरूरतों को पूरा करने का सामर्थ्य रखते थे। मसलन टेलीफोन पीसीओ, नाई की दकान, जनरल स्टोर, स्टेशनरी शॉप, टेलर शॉप। और दाहिनी तरफ एक छोटे से पार्क में अपनी चोचं ऊपर की तरफ उठाए एक फाइटर जेट। फिर बाईं तरफ एक पानी की ऊँची सी टंकी और उसपर बने मधमुक्खी के बड़े-बड़े छत्ते जैसे छेदी टेलर मास्टर की झर्रियों से लटकती दाढ़ी। लगभग सभी सड़कों के दोनों तरफ कतार में छोटे-बड़े पेड़ – युकलिप्टस, बरगद, पीपल, सागवान और विशाल महुआ भी; झाड़ियाँ – बैगणबेलिया, चम्पा, पुटुस और एक षष्टमुखी मंदिर के आसपास छुईमुई भी।

सैनिक स्कूल तिलैया, देश के सर्वश्रेष्ठ आवासीय विद्यालयों में से एक है। यह 16 सितंबर 1963 को बिहार राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री के बी सहाय और संस्थापक प्राचार्य, लेफ्टिनेंट कर्नल एल.इ.जी. स्मिथ के संयुक्त प्रयासों से तिलैया डैम के समीप अस्तित्व में आया। सीमित कर्मचारियों और संसाधनों के साथ लेकिन सामूहिक सामाजिक उत्साह से प्रेरित होकर, स्कूल ने अपनी यात्रा शुरू की और आज स्कूल परिवार में 3 सक्रिय सेवा अधिकारी, 3 राष्ट्रीय कैडेट कोर (एनसीसी) और 2 शारीरिक प्रशिक्षण कर्मचारी (पीटीआई) कर्मचारी, 43 अकादमिक और लगभग 22 प्रशासनिक कर्मचारी और 72 सामान्य कर्मचारियों के साथ-साथ 875 कैडेटों की संख्या (गर्ल कै डेट्स सहित) और 25 दिवसीय स्कॉलर्स हो गए हैं। जिससे, पूरे भारत में 33 सैनिक स्कूलों में सैनिक स्कूल तिलैया सबसे बड़ा बन गया है। स्कूल आधुनिक और अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे का दावा करता है, जिसे उच्च आदर्श और राजसी लक्ष्यों के साधने के लिए डिज़ाइन किया गया है। जिसमें यह सुनिश्चित करने के लिए अत्यधिक देखभाल की जाती है कि यहाँ पढ़ने वाले कैडेटों के व्यक्तित्व को इस तरह से ढ़ाला जाए जो उन्हें जीवन की हर चुनौती से मुकाबला करने के लिए खड़ा कर सके। सभी सैनिक स्कूलों में, सैनिक स्कूल तिलैया ने शैक्षणिक वर्ष 2021-22 के अनुसार कक्षा 10वीं और कक्षा 12वीं में क्रमशः 4थी और 7वीं रैंक प्राप्त की है। स्कूल ने अपनी स्थापना के बाद से राष्ट्रीय रक्षा अकादमी/भारतीय नौसेना अकादमी
(एनडीए/आईएनए) में 900 से अधिक कैडेटों को राष्ट्र सेवा में भेजा है। इस गौरवशाली संस्थान के 04 शिक्षकों – स्वर्गीय जेड. सईद (1996 में), श्री ए.के.मजूमदार (2005 में), श्री धनंजय कुमार (2013 में) और श्रीमती कविता प्रकाश (2015 में) को प्रतिष्ठित राष्ट्रपति पुरस्कार प्रदान किया गया है। और श्री एम मोहिउद्दीन को उन के समय में अपने विषय रसायन शास्त्र में शोध करने हेतु यूनाइटेड किंगडम की फ़ेलोशिप प्रदान की गई। तत्कालीन माननीय रक्षा मंत्री श्री प्रणब मुखर्जी, बिहार और झारखंड के मुख्यमंत्री, झारखंड के राज्यपाल, झारखंड के जनरल ऑफिसर कमांडिग (जीओसी) झारखण्ड और बिहार सब एरिया और जीओसी दक्षिणी कमान सहित बड़ी संख्या में गणमान्य व्यक्तियो ने विभिन्न समय पर अपनी उपस्थिति दर्ज करा के इस संस्थान की शोभा बढ़ाई है और अपने अनुभवों से अगली पीढ़ी की रक्षा पंक्ति को प्रेरित करते रहे हैं और सींचते रहे हैं।

हर साल लगभग 150 छात्रों का चयन 20,000 से अधिक उम्मीदवारों में से होता है जो सैनिक स्कूल तिलैया की प्रवेश परीक्षा देते हैं। सैनिक स्कूल तिलैया ने भारत और दुनिया भर में लगभग सभी क्षेत्रों में कई उत्कृष्ट पेशेवर प्रदान किए हैं। हर साल बड़ी संख्या में छात्रों ने आईआईटी-जेईई, एनडीए, प्री-मेडिकल टेस्ट आदि सहित कठिन प्रतियोगी परीक्षाओं को उत्तीर्ण किया है। 1999 में, एनडीए और एनए प्रवेश परीक्षा में एसएसटी छात्रों ने अखिल भारतीय स्तर पर क्रमशः 15वां और 18वां स्थान हासिल किया। सैनिक स्कूल तिलैया से 1999 में 25 छात्रों ने प्रतिष्ठित राष्ट्रीय प्रतिभा खोज छात्रवृत्ति (एनटीएसई) हासिल की। यह एक बहुत ही कठिन परीक्षा है जिसमें भारत के हर हिस्से हज़ारों से ज्यादा छात्र 750 छात्रवृत्ति के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं। छात्रों ने न केवल तकनीकी धाराओं में बल्कि कला के क्षेत्र में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। बॉलीवुड के जाने माने क्रिएटिव डायरेक्टर और प्रोड्यूसर श्री प्रकाश झा, इस सं स्थान के पूर्व छात्र हैं। आज यहां से पढ़े कई छात्र केंद्रीय और राज्य सेवाओं में बहुत वरिष्ठ पदों पर हैं और देश की सेवा कर रहे हैं।

(अमित झा एवं सलिल सरोज की किताब “तिलैयन डायरी” से उद्धृत अंश)
(सलिल सरोज ने 1997 से 2004 तक सैनिक स्कूल तिलैया में पढ़ाई की है।)

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