सेवा, भजन करवाकर अच्छे कर्मों को जमा कराया जा रहा है ताकि बुरे समय में आपकी हो सके रक्षा
जीवों की भलाई और संगत की सेवा में लगोगे तो भजन में थोड़े कच्चे भी रहोगे तो भी पार हो जाओगे
जीवों को जगाने, प्रचार-प्रसार, नाम ध्वनि करने कराने आदि बहुत काम है, खाली मत बैठो, समय निकला जा रहा है
उज्जैन (मध्य प्रदेश)
किसी न किसी तरीके से बुरे कर्मों को कटवा कर उनकी सजा तकलीफ से बचाने वाले, किसी भी फरियादी की फरियाद को अनसुना न करने वाले, भारी से भारी कर्मों को बड़ी सुगमता से कटवा देने वाले, विधि के विधान की पूरी जानकारी रखने वाले, नसीब के पन्नों पर लेख पर मेख मार देने वाले, गुरु आदेश के पालन करने वालों की संभाल करने वाले वक़्त के महापुरुष सन्त सतगुरु दुःखहर्ता त्रिकालदर्शी परम दयालु उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के प्रति वर्ष 23 मार्च को मनाए जाने वाले मुक्ति दिवस पर्व के शुभ अवसर पर 23 मार्च 2019 प्रातः कालीन बेला में उज्जैन आश्रम (म.प्र.) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर प्रसारित संदेश में बताया कि गृहस्थी में काम है, प्रचार प्रसार का काम है, जीवों को जगाने समझाने बताने का, ध्यान भजन साप्ताहिक सतसंग नाम ध्वनि करने कराने आदि बहुत से काम है। तो इनमें लगो, खाली मत बैठो, समय निकला जा रहा है। अगर संगत की सेवा में संगत के काम में, जीवों की भलाई में लगोगे और भजन में थोड़े कच्चे भी रह जाओगे तो भी गुरु महाराज की दया होगी, पार हो जाओगे। यह निशाना आज मुक्ति दिवस त्योहार के दिन आप बनाओ, कि इस दु:ख के संसार में दु:ख झेलने के लिए हमको आना न पड़े।
आपको जो बताया जाय उसको विश्वास के साथ करो
यह दु:खों का संसार है। यहां कोई सुख है ही नहीं। यदि आप कहो कि यहां तो दु:ख नहीं है तो जब अभी लाइन से हम मिलेंगे लोगों से तो देखना, सब दु:खी हैं। लोग मिलकर चले जाएंगे फिर आगे पहुंच जाएंगे फिर लाइन लगाकर बैठ जाएंगे। अरे हम आदमी है कि मशीन? बताओ! पत्थर के ऊपर ऐसे मत्था पटकते रहो तो वो भी घिस जाता है, हम तो आदमी इंसान हैं, बुड्ढा शरीर है। हमको ज्यादा परेशान आप मत करो, आपको जो बता दिया जाए, उसको विश्वास से साथ करो।
सुमिरन ध्यान भजन नाम ध्वनि प्रचार-प्रसार करो कराओ, इससे कटेंगे कर्म, होगी तकलीफें दूर
किसी को तकलीफ है, कोई दवा दुआ बता दी गई, उसको करो। और अगर (भीड़ या अन्य वजह से) न बता पाऊं या आपको उस पर विश्वास न हो जो बताया गया तो एक बात इस पर विश्वास कर लो आप- भजन, ध्यान, सुमिरन मन लगाकर के सुबह-शाम करो, नाम ध्वनि घर में करो कराओ, प्रचार- प्रसार आप करो, तन मन धन से सेवा करो, उससे भी आपके कर्म कटेंगे, तकलीफ दूर होगी।
कर्म कैसे आते हैं
देखो जब मौसम बदलता है, खाने-पीने में कोई गलती हो जाती है, मन नहीं मानता है ज्यादा खा जाते हो तो बीमारी तकलीफ हो जाती है। चिकन चुपड़ा खा लिया, दस्त होने लगे, बुखार भी चिकना चुपड़ा खाने से आता है। बहुत ठंडी चीज खा लो की अब ठंडा लग जाये तो बुखार आता है। चिकना ज्यादा हो जाये तो लीवर, आंते ठीक से काम नहीं करती तब बुखार आता है। ये बुखार दस्त आदि तकलीफें तो दवा से ठीक हो जाती हैं लेकिन जो कर्म आ जाते हैं एक दूसरे के, किसी का खा लिया, किसी के शरीर से शरीर छू गया रगड़ खा गया, आंखों से आंखें मिल गई तो उसमें भी कर्म आते हैं। सबसे ज्यादा कर्म आखों से आते हैं। 83% अपराध तो आंखों से ही होता है। कर्म आ जाते हैं तो उसको भोगना या काटना पड़ता है। आपको यह भी नहीं मालूम है कि कर्म आते कैसे हैं और कटते कैसे हैं। तनिक देर में कट जाते हैं, तनिक देर में आ जाते हैं। बाढ़, बीपी की मशीन के पारे की तरह आते, कटते हैं। जब आते हैं तो महसूस होने लगता है। कट जाते हैं तो भी हल्का हो जाता है लेकिन जब जानकारी हो जाती है तब। कर्मों को काटा कटवाया जाता है।
सन्त सेवा भजन कराकर अच्छे कर्मों को जमा करवाते हैं, इन्ही जमा कर्मों से तकलीफ़ दूर होगी
कर्मों को जमा भी कर दिया जाता है। पहले के समय में जब लोग अच्छा कर्म करते थे तो अहंकार आ जाता था। जैसे बहुत धन आपको दे दिया जाए अहंकार आ जाएगा, खर्च कर डालोगे। गवर्नमेंट क्या करती है? तनख्वाह में से कुछ कटवा कर जमा कराती रहती है। जब रिटायर बुड्ढा हो जाएगा, यह पैसा काम आ जाएगा। ऐसे ही जब तकलीफ आएगी तो जो कर्म जमा रहते हैं उन कर्मों से वह तकलीफें दूर की जाती हैं। सुन्न में जमा अच्छे कर्मों से स्वयं की और दूसरे की भी मदद करा दी जाती है। केवल जानकार ही ये कर सकते हैं।