सरकार की शपथ…अग्निपथ अग्निपथ

प्रकाशनार्थ आलेख

सरकार की शपथ…अग्निपथ अग्निपथ

बृजेश कुमार
वरिष्ठ पत्रकार

केंद्र सरकार नें जैसे ही अग्निपथ योजना की घोषणा की कि अब सेना में भर्ती 17 से 21 साल के युवाओं की की जायेगी।8 साल से सोया हुआ युवा जैसे जाग गया। सीधे सड़को पर उतर गये । अपने स्वभाव वश तत्क्षण परिणाम भी आने लगे। कई बसें फूंक दी गयी।कई ट्रेने जला दी गयी ।सरकार पूरी कोशिश में लगी रही है कि मामले को संभाला जाये। लेकिन अब स्थिति उलट लग रही है। 2 साल पहले इसी प्रकार का कृषि कानून भी देश में लाया गया था । परन्तु किसानो को समझ नहीं आया।सरकार ने पूरा अमला लगा दिया था कि लोगों को समझाया जा सके ।लेकिन किसान अपनी मांग पर अडे रहे । लगभग 2 साल में 1000 किसान शहीद हुये । अंतत सरकार यूपी चुनाव से पहले किसानों के आगे घुटना टेक दी। क्योंकि डर था कि जिन सिपाहसलारों की वजह से कानून पर सरकार अड़ी है अगर किसान नाराज रहे तो यूपी की सत्ता भी हाथ से चली जायेगी। लोगों के अदर सरकार के विरोध में स्वर बुलंद हुये।किसान सहनशील थे उनमें धैर्य था कि अपनी मांगों पर अडे रहे और सरकार से अपनी मांगे मनवा ली।
लेकिन इस बार मुद्दा युवाओं का है जिसकी वजह से बीजेपी 2014 में सत्ता में आयी थी। जब सरकार यह कानून लायी उसी दिन से विद्रोह पनपने लगा।आज देश के समस्त भागों में देश बंद करने का प्रयास किया गया। युवाओं के साथ विपक्षी पार्टियों के आ जाने से विरोध प्रदर्शन और मजबूत हो गया। लेकिन अगर पक्ष विपक्ष यह उम्मीद कर रहा है कि आन्दोलन शान्तिपूर्ण होगा तो यह संभव नहीं है। क्योकि युवाओं का खून गर्म होता है ।साथ ही साथ इस उम्र सोचने समझने की क्षमता कम विकसीत होती है और ऐसे में सरकार को युवाओं के साथ शक्ति आन्दोलन को औऱ तीव्र कर देगी । क्योंकि पूर्वांचल हो या पश्चिमांचल मध्यप्रदेश हरियाणा राजस्थान हो या भारत के हृदय प्रदेश जहां के युवाओं का सेना की नौकरी दिल से जुडाव होता है। ऐसे में यह कानून उनकी भावनाओं से खेलने जैसा है । सरकार भले ही यह दलील दे रही है कि युवा 4 साथ नौकरी के दौरान 12 से 15 लाख रूपये कमा लेगा साथ ही रिटायरमेंट के बाद 20 से 25 लाख रूपये बचा लेगा । लेकिन मामला यहा नहीं रूकता अगर युवा 4 साल नौकरी कर लेगा उसके बाद कोई तैयारी करने योग्य नही रह जायेगा । संभव है कि 4 साल बाद उसे बेरोजगार ही रहना पडे। क्या ऐसे में सरकार युवाओं की सुरक्षा की गारंटी लेगी। नहीं विल्कुल नही एक बार तो बस हो गया किसी तरह नौकरी की मिल गयी। दूसरी नौकरी में अनिश्चितता बनी रहेगी। साथ ही अगर व्यक्ति सदैव यही सोचता रहेगा कि 4 साल बाद क्या होगा तो ऐसी स्थिति में उम्मीद करना कि व्यकति सेना के प्रति दिल से जुडाव रखेगा यह संभव नही है। यह दिल टूटने वाली बात है। क्योंकि जिस सेना के साथ हम 4 साल बितायेंगे छोड कर जाना होगा।
धीरे धीरे लोंगों के मन में आर्मी और सेना के प्रति झुकाव कम कर देगा।ऐसें में किसी व्यक्ति की निष्ठा सेना के प्रति कम हो सकती है।
आज बीजेपी सांसद पूर्व सेना प्रमुख बीके सिंह जी आन्दोलनकारियों को नसीहत दे रहे है तो वहीं अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चक्रपाणी महाराज ने कहा कि सासंद बीके सिंह को अग्निपथ आन्दोलनकारियों को नसीहत देने का नैतिक अधिकार नहीं है। क्योंकि अपने रिटायरमेंट के समय 1 वर्ष और कार्यकाल बढ़ाने के लिये तत्कालिन मनमोहन सरकार से विवाद पर सुप्रीम कोर्ट पहुँचे थे।और यहां तक स्थिति भी बनी थी कि आर्मी का दिल्ली तक मार्च भी करवा दिया था।
बहरहाल अगर स्थिति परिस्थिति को देंखे तो साफ पता है कि नेताओं या बड़े उद्योगपति घराने का कोई व्यक्ति सेना में नही जाता । और दूसरी तरफ गरीब किसान परिवार का ही बेटा सेना में जाता है। और जब 12 वी पास करता है तो तभी से सुबह उठ कर दौड़ना शुरू कर देता है।और परिवार में बच्चे बचपन से ही तैयारी शुरू कर देता है ।लेकिन स्थिति परिस्थिति यह है कि अब बच्चों के दिमाग मे यह हो गया है कि बच्चों का भविष्य छिन लिया जायेगा । यह कत्तई सही नहीं है कि युवाओं का भविष्य अधकार की तरफ ढकेल दिया जाय। सरकार को तत्काल प्रभाव से इस निर्णय की समीक्षा करनी चाहिये । या कुछ न समझ आये तो युवाओं से खुले मंच पर बात करने के लिये सरकार के प्रतिनीधियों को भेजा जाना चाहिये। सरकार से उम्मीद है कि बेरोजगारी पर लगाम लगायेगी लेकिन अधकार में रखकर नही। देश के युवाओं के साथ खिलवाड़ कत्तई बर्दाश्त के योग्य नहीं है। क्योंकि ज्यादातर बेरोजगार देश के या तो शिक्षक बनते हैं औऱ दूसरी तरफ सेना में जाते है। संविदा पर की गयी कोई भी नौकरी सरकार के हित या जनता के हित में नही होती । यह सिर्फ व्यापारियों उद्योगपतियों की गुलामी को जन्मदेगा। भले ही आज बडे प्रवतक्ता किसान बिल की तरह इसका समर्थन कर रहे हैं लेकिन अंदर खाने उन्हे भी अहसास है कि यह गलत है । फिर यह युवाओं के लिये तो खतरा तो है हि साथ ही साथ सैन्य व्यवस्था के लिये भी खतरा पैदा करने वाली बात है। जिससे देश की सुरक्षा भी खतरें में पड़ सकती है।

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