पूरे जिले के सरकारी अस्पतालों से गायब चिकित्सकों पर रोक लगाने में सीएमओ हुए असफल

पूरे जिले के सरकारी अस्पतालों से गायब चिकित्सकों पर रोक लगाने में सीएमओ हुए असफल

बरसों से दो दर्जन अस्पताल हुए वीरान इलाज को तड़प रहे मरीज जिम्मेदार बने धृतराष्ट्र

कौशांबी योगी सरकार गरीब मरीजों को सस्ता इलाज उपलब्ध कराने के मकसद से करोड़ों रुपए महीने का वेतन सरकारी अस्पतालों के संचालन में प्रत्येक महीने अवमुक्त कर रही है लेकिन सरकारी अस्पतालों में तैनात चिकित्सक निजी नर्सिग होम में मशगूल होकर करोड़ों की कमाई में लगे हैं सरकारी अस्पतालों के चिकित्सकों के लगातार गायब रहने के मामले में मुख्य चिकित्सा अधिकारी लापरवाह चिकित्सकों की नकेल कसने में असफल साबित हो चुके हैं जिससे जिले के सरकारी अस्पतालों में गरीब कमजोर मजलूम लोगों को इलाज नहीं मिल पाता है दो दर्जन सरकारी अस्पताल जिले में पूरी तरह से बंद जैसे हो गए हैं कभी उन अस्पतालों में वार्ड ब्याय कभी फार्मासिस्ट मिल गया तो बहुत बड़ी उपलब्धि योगी सरकार की होगी बार-बार शिकायत किए जाने के बाद भी मुख्य चिकित्सा अधिकारी चौपट व्यवस्था को नहीं संभाल सके हैं तमाम अस्पतालों में इलाज को पहुंचे मरीजों को स्वास्थ्य कर्मी धक्का देकर भगा देते हैं यह आए दिन का मामला हो गया है आखिर बंद अस्पतालों में करोड़ों रुपए महीने का वेतन भुगतान दिए जाने का क्या औचित्य है इसका जवाब भी मुख्य चिकित्सा अधिकारी नहीं दे पा रहे हैं वह बार-बार अस्पतालों की व्यवस्था सुधारने की बात बीते 6 महीने से कर रहे हैं लेकिन 6 महीने के बीज अस्पताल की व्यवस्था नहीं खुला रखे हैं सूत्रों की मानें तो सीएमओ के अधीनस्थ बाबू द्वारा बिना ड्यूटी के वेतन अव मुक्त कराने के नाम पर लाखों रुपए की कमीशन खोरी लापरवाह चिकित्सकों से कर रहे है जिससे सरकारी अस्पताल की चौपट व्यवस्था में सुधार होता नहीं दिख रहा है

गौरतलब है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व राजकीय महिला चिकित्सालय चरवा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र अमनी लोकीपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बैशकाटी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र टिकरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कनैली प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पुरामुफ्ती प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कादिलपुर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कसेन्दा राजकीय महिला चिकित्सालय बैशकांटी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र सेलराहा पश्चिम सहित दोल दर्जन से अधिक सरकारी अस्पताल पूरी तरह से वर्षों से बंद है कुछ अस्पतालों में फार्मासिस्ट कभी-कभी पहुंच जाते हैं और कुछ अस्पतालों में कभी-कभी वार्ड ब्याय मिलते हैं जिससे मरीजों को इलाज नहीं मिल पाता है दो दर्जन अस्पतालों की चौपट व्यवस्था पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी वर्षों बीत जाने के बाद भी व्यवस्था नहीं सुधार सके हैं सरकारी अस्पतालों में मरीजों को समुचित इलाज मिल जाने की झूठी सूचना प्रत्येक महीने मुख्यमंत्री को सीएमओ भेजकर गुमराह कर रहे हैं चौपट स्वास्थ्य व्यवस्था पर जिलाधिकारी ने भी चुप्पी साध रखी है जिससे जिले में मरीजों को इलाज नहीं मिल पाता है आखिर योगीराज में कब तक मरीजों को निजी नर्सिंग होम में इलाज के लिए पहुंचना होगा लापरवाह सरकारी चिकित्सकों से लगातार वसूली किए जाने का आरोप मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय के एक बाबू पर लग रहा है

चौपट स्वास्थ्य व्यवस्था की हकीकत जानने के लिए मंझनपुर तहसील क्षेत्र के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बैश कांटी और राजकीय महिला चिकित्सालय बैश कांटी का निरीक्षण किया गया तो देखा गया कि वहां पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक भी चिकित्सक फार्मासिस्ट वार्ड ब्याय एएनएम स्वीपर मौजूद नहीं है अस्पताल पूरी तरह से लावारिस स्थिति में पड़ा है राजकीय महिला चिकित्सालय बैश कांटी में फार्मासिस्ट एवम कुक मौजूद मिले हैं लेकिन राजकीय महिला चिकित्सालय बैश कांटी भी चिकित्सक मौजूद नहीं है आखिर एक परिसर में दो अस्पताल के बीच एक भी चिकित्सकों का ना मौजूद होना योगी सरकार की व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है बताया जाता है कि इन अस्पतालों में चिकित्सक और फार्मासिस्ट की तैनाती है लेकिन विभागीय उदासीनता के चलते घर बैठे वेतन ले रहे हैं फार्मासिस्ट ने बताया कि पीएचसी का फार्मासिस्ट को सैंपल में ड्यूटी लगाई गई है आखिर चौपट स्वास्थ्य व्यवस्था को सुधारने के लिए स्वास्थ्य महानिदेशक लखनऊ कब पहल करेंगे या फिर चौपट स्वास्थ्य व्यवस्था पर सीएमओ कार्यालय की अवैध वसूली पर स्वास्थ्य निदेशक भी चुप्पी साधे बैठे रहेंगे इलाके के लोगों ने मुख्यमंत्री का ध्यान आकृष्ट कराते हुए कहा है कि सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था चौपट करने वाले मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कारनामों की जांच कराते हुए इन्हें सरकारी सेवा से बर्खास्त किया जाए
कितनो स्वस्थ संविदा कर्मी अपना निजी बेवसाय करते है आखिर उनको बिना काम किये बेतन कैसे मिलता है जिले में कितनो अस्पताल बिना रजिस्ट्रेशन एवम रिनवल के चल रहे है इनपर कार्यवाही न होना जांच का विषय है

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