जो समर्थ गुरु पर विश्वास कर लेते हैं, गुरु उनकी रक्षा करता है
शाहजहांपुर (उ.प्र.)कहते है सच कड़वा होता है तो चाहे सुनने में थोडा कड़क लगे लेकिन चाहे कोई भी जिज्ञासु आ जाये, प्रैक्टिकल करवाकर सत्य का अनुभव करवा देने वाले, सत्यवादी, स्पष्टवादी, सब जीवों के हितैषी, शरणागत के रक्षक, जिनके आदेश में चलने पर तीन लोक और नौ खंड में पूर्णतया भय मुक्त हुआ जा सकता है, ऐसे इस वक़्त के पूर्ण सन्त सतगुरु दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि हम देखो (कहने में) कसर नहीं रखते हैं। आप यह न सोचो कि ये भगवान को नहीं मानते हैं। भगवान को मानते हैं लेकिन हम उस भगवान को मानते हैं जो देखा जाता है, जिसकी आवाज सुनी जाती है, जिससे दो बात कर ली जाती है, हम उस भगवान को मानते हैं। अब आप तो नाराज हो गए क्योंकि आप ऐसे भगवान को मानते हो जो आपको हाथ से उठाकर कुछ दे नहीं सकते हैं। तो आप तो नाराज हो लेकिन अगर सही बात नहीं बताया जाएगा तो आप इसी भूल-भ्रम में पड़े रहोगे। जैसे यदि किसी को फोड़ा हो गया, अब फोड़ा को काटोगे तो दर्द होगा। लेकिन अगर फोड़े को काट करके दवा भर दोगे तो उसका असर हड्डी तक नहीं जाएगा, हड्डी नहीं सड़ेगी। और नहीं तो फोड़े के असर से हड्डी जब सड़ जाएगी तब हाथ ही काटना पड़ेगा। तो फोड़े का ऑपरेशन जरूरी होता है। भगवान से दो बात भी हो जाती है, भगवान का दर्शन भी होता है, भगवान की आवाज भी सुनाई पड़ती है। लेकिन इन बाहर (शरीर) के आँख-कान से भगवान को देख-सुन नहीं सकते हैं और न ही इस मुंह से बात करके उनसे जवाब लिया जा सकता है। अब यह भी आपको बता दे जिससे आपको विश्वास हो जाए कि इसी मनुष्य शरीर में ही लोगों ने देखा है उसको। उसका रास्ता – नामदान आपको बताया जायेगा।
सभी पूर्ण सन्तों का एक ही आदेश, भजन करो, मगन रहो मन में
गुरु महाराज ही नहीं, उनके भी गुरु महाराज, जितने भी पूर्ण सन्त इस धरती पर आये, सबने यह आदेश दिया कि भजन करो, मगन रहो मन में। भजन से मन प्रसन्न होगा, तकलीफ जाएगी। बिन हरि भजन न जाए कलेशा। बगैर भजन के हर आदमी का कलेश ऐसे दूर नहीं हो सकता, कर्म का बंधन नहीं कट सकता है। इसलिए भजन, ध्यान, सुमिरन करो। उसमें मन लगाओ। दुनिया की तरफ से मन को हटाओ। और अगर मोह-माया में लिप्त, फंस गया हो तो फिर मन को प्रचार-प्रसार में, जीवों की रक्षा में, जीवों की भलाई में लगाओ और इस मानव मंदिर को साफ रखो। इसके अंदर कोई मुर्दा-मांस मत डालो यानी मांस, मछली, अंडा मत खाओ। शराब या तेज नशे का सेवन मत करो जिससे बुद्धि सही रहे, हाथ-पैर ठीक से काम करे, शरीर निरोगी रहे। क्योंकि रोग ज्यादातर ऐसे ही अंडा मछली मांस खाने से ही ज्यादा बढ़ते हैं, इसलिए उससे बचे रहो।
जो समर्थ गुरु पर विश्वास कर लेते हैं, गुरु उनकी रक्षा करता है
ध्यान दो, बच्चे बिगड़ने न पावे। स्कूल या कहां जा रहे हैं? कहां, किसके साथ जा रहे हैं? पढ़ने जा रहे हैं या गलत बच्चे-बच्चियों के साथ जा रहे हैं। जब ध्यान रखोगे तो बच्चे बिगड़ेंगे नहीं, उनके कर्म खराब नहीं होंगे तो उनको तकलीफ नहीं आएगी। सतसंगियों के बच्चे जो संगत में लगे रहते हैं, जो भजन ध्यान करते रहते हैं, नाम ध्वनि बोलते रहते हैं, वो बिगड़ते नहीं हैं। जो गुरु पर विश्वास कर लेते हैं, गुरु उनकी रक्षा करता है। कहा है- गुरु माथे पर राखिए, चलिए आज्ञा माही, कह कबीर ता दास का, तीन लोक भय नाही।। इसलिए सभी नए-पुराने लोग, आप इस बात को बराबर याद कर लो। तकलीफों को दूर करने के लिए और भविष्य में तकलीफें न आवे, उसके लिए जयगुरुदेव नाम की ध्वनि हमको बोलना है। प्रथम सीढ़ी पर चढ़ना है। मंजिल पर, छत पर अगर जाना है तो यह जयगुरुदेव नाम की पहली सीढ़ी है, इस पर चढ़ना है, हमे इसे बोलना है। ऐसे बोलना रहेगा- जयगुरुदेव जयगुरुदेव जयगुरुदेव जयजय गुरुदेव। आप नए लोग भी बोल कर के सीख लो नहीं तो वहां बोल नहीं पाओगे। अब यहां तो बहुत लोग बोल रहे हैं लेकिन वहां तो शर्माओगे बोलने में क्योंकि हम बड़े आदमी, पढ़े-लिखे हैं और यह तो जयगुरुदेव वाले तो सब ऐसे झोला टांगे हुए, इधर-उधर झंडा लिया घूमते रहते हैं, गरीब गंवार है। ये गरीब गंवार नहीं है, ये शहन्शाह के बेटा है, आपको इनसे सीख लेनी चाहिए।