नई दिल्ली। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि राम देश की आत्मा हैं। देश को राममय बनाना होगा। अपनी विरासत को सामने लाना होगा। गांधी जी को मार्क्सवाद से बाहर लाना होगा। वह गांधी स्मृति एवं दर्शन समिति राजघाट पर आयोजित अयोध्या पर्व के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि राम किसी भी स्कूल, कालेज, विश्विवद्यालय के कोर्स में नहीं हैं लेकिन वह हर स्थान पर हैं। जन-जन में हैं। कोर्स से विशेषज्ञ बनते हैं लेकिन इस देश के किसी कोने में किसी भी व्यक्ति से बात की जाए तो वह कम से कम आधे घंटे राम के बारे में बता सकता है। पांच अगस्त 2019 को माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में भव्य व दिव्य श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया था। उस समय संघ ने देश को राममय बनाने का आह्वान किया था। हम सबको मिलकर देश को राममय बनाना है। कहा कि उन्होंने अपने सहयोगियों से कहा है कि देश की विरासत को सामने लाना है, इसके लिए वह काम करें।
उन्होंने कहा कि राम में ऐसी ऊर्जा है कि वह प्रेरित करते हैं। सदाचार के लिए, संस्कार के लिए परोपकार के लिए जीवन जीने के आदर्श को प्रस्तुत करते हैं। मां के साथ, भाई के साथ, पिता के साथ, समाज के साथ किस तरह का व्यवहार किया जाए, यह राम के आदर्श में निहित है। एक उदाहरण के जरिए उन्होंने कहा कि इसका एहसास उन्हें थाईलैंड में हुआ, जहां राजा को राम से संबोधित किया जाता है। कहा कि श्रीराम के नाम में इतना प्रभाव है तो अयोध्या में कितनी ऊर्जा होगी। कहा कि कोरोना के दौरान उन्हें दूसरा अनुभव हुआ। जब खाड़ी देश कुवैत ने हमारे प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी से मदद की अपेक्षा की। उसने चीन से यह अपेक्षा नहीं की। प्रधानमंत्री ने डाक्टर, नर्स, दवाएं तुरंत भेज दी। यह राम व रामचरित मानस का प्रभाव है। इसीलिए उन्होंने न तो चीन से यह अपेक्षा की और न ही चीन से यह किया जा सकता था। गांधी की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि अब तक गांधी पर जो कुछ भी लिखा गया, गांधी जी को मार्क्सवाद से बाहर लाना है। इसके पूर्व इंदिरागांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष व वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय ने गांधी जी को मार्क्सवाद से बाहर रखने की बात की थी। श्रीप्रधान ने सभी से मिलकर पूरे देश को राममय बनाने का आह्वान भी किया। कहा कि अभी कुछ दिन पहले हनुमान जयंती थी। शोभायात्रा निकली, धार्मिक अनुष्ठान था। यह किसी संगठन का नहीं बल्कि युवाओं का स्वतः स्फूर्त कार्यक्रम था। जनमानस में हनुमान जी व श्रीराम व्याप्त हो रहे हैं। अयोध्या पर्व इसका वाहक बन रहा है।
विशिष्ट अतिथि पूर्व केंद्रीय मंत्री व गांधी दर्शन एवं स्मृति समित के उपाध्यक्ष विजय गोयल ने कहा कि अयोध्या पर्व के आयोजन से गांधी दर्शन समिति का यह परिसर सुगंधित हो गया है। गांधी जी का जीवन राम से शुरू होता है और राम पर ही खत्म हो जाता है। उन्होंने कहा कि वह अयोध्या और दिल्ली में अंतर है। वहां घर-घर में मंदिर हैं, यहां खाली स्थानों पर। राम और रामचरित मानस, रामलीला संस्कार देते हैं। चरित्र निर्माण करते हैं। बचपन में देखी गई रामलीला व्यक्ति के जीवन के उत्तरार्ध तक याद रहती है। उन्होंने राम और अयोध्या पर आधारित अयोध्या पर्व की सराहना की। कहा कि वास्तव में गांधी जी और राम के कार्यों को यदि किसी ने आत्मसात किया तो वह प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी हैं। उनके मार्गदर्शन में ही यह विरासत आगे बढ़ रही है।
अयोध्या पर्व के संरक्षक व इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष रामबहादुर राय ने अयोध्या पर्व को हितोपदेश की संज्ञा दी। कहा कि जो काम कहानियों के जरिए नहीं हो पाता वह हितोपदेश के जरिए होता है। रविवार को आयोजित गांधी और रामराज्य विषयक संगोष्ठी की चर्चा की। कहा कि कई इस संगोष्ठी में गांधी के विचार को नई दिशा मिली। इसे प्रबुद्ध जन स्वीकार कर रहे हैं। उन्होंने उदाहरण भी दिया। कहा कि गांधी और रामराज्य का समन्वय करने वाला इस समय केवल एक व्यक्ति है, वह है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो दोनों के बीच समन्वय दिखा रहे हैं। उन्होंने केंद्रीय शिक्षा मंत्री से कहा कि गांधी जी पर अब तक जो भी लिखा गया वह मार्क्सवाद से प्रभावित रहा है। इसे मार्क्सवाद से बाहर लाना है। धन्यवाद ज्ञापन अयोध्या पर्व के संयोजक अयोध्या के सांसद लल्लू सिंह ने किया। इसके पूर्व अवध के किसान आंदोलन पर संगोष्ठी आयोजित की गई। जिसमें वरिष्ठ पत्रकार अरिवंद कुमार सिंह, अरविंद मोहन, संत समीर ने अपने विचार व्यक्त किए।