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“भारतीय संविधान : अनकही कहानी” पुस्तक का पीएम ने किया लोकार्पण
दीपक कुमार त्यागी / हस्तक्षेप
वरिष्ठ पत्रकार, स्तंभकार व राजनीतिक विश्लेषक
“पत्रकारिता जगत की दिग्गज शख्सियत”रामबहादुर राय” ने “भारतीय संविधान : अनकही कहानी” पुस्तक में संविधान निर्माण की यात्रा से देशवासियों को बेहद सरल शब्दों में और तथ्यात्मक संदर्भ के साथ अवगत करवाने का कार्य किया है।”
नई दिल्ली। पत्रकारिता जगत की दिग्गज व सम्मानित शख्सियत देश के वरिष्ठ पत्रकार “रामबहादुर राय” की शोध परक पुस्तक “भारतीय संविधान : अनकही कहानी” का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के वर्चुअल संबोधन के साथ 18 जून शनिवार की सायं को एक भव्य कार्यक्रम मे़ं राजधानी दिल्ली में देश के हजारों बुद्धिजीवियों से खचाखच भरे हुए आंबेडकर अंतरराष्ट्रीय केंद्र, जनपथ, नई दिल्ली में मुख्य अतिथि केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, विशिष्ट अतिथि राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश राय, जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे वरिष्ठ पत्रकार अच्युतानंद मिश्र के ओजस्वी उद्बोधन के साथ किया गया। इस कार्यक्रम की शुरुआत ज्ञान दायिनी मां सरस्वती की वंदना के साथ हुई, उसके बाद अतिथियों का स्वागत और स्वागत उद्बोधन हुआ। इस कार्यक्रम में वक्ताओं ने संविधान से जुड़े विभिन्न पहलुओं के एकत्र करके दुनिया के सामने रखने वाली “रामबहादुर राय” की शोध परक पुस्तक “भारतीय संविधान : अनकही कहानी” पर अपने विचार प्रकट किए। बहुत लंबे समय तक चले इस कार्यक्रम का रात 9 बजे राष्ट्रगान के साथ समापन हुआ।
इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकार्पण कार्यक्रम को वर्चुअल माध्यम से संबोधित करते हुए कहा कि – “अमृत-महोत्सव” के तहत अनेकों कार्यक्रम देश में हो रहे हैं। “भारतीय संविधान : अनकही कहानी” किताब देश के इसी अभियान को एक नई ताकत देने का काम करेगी। आजादी के इतिहास के साथ-साथ हमारे संविधान के अनकहे अध्याय देश के युवाओं को एक नई सोच देंगे, उनके विमर्श को व्यापक बनाएंगे।
उन्होंने कहा कि आज के दिन 18 जून को मूल संविधान के पहले संशोधन पर तत्कालीन राष्ट्रपति डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद ने हस्ताक्षर किए थे। यानी आज का दिन हमारे संविधान की लोकतांत्रिक गतिशीलता का पहला दिन है और इसी दिन आज हम संविधान को एक विशेष दृष्टि से देखने वाली इस किताब का लोकार्पण कर रहे हैं। यह हमारे संविधान की सबसे बड़ी ताकत है, जो हमें विचारों की विविधता के साथ तथ्य, सत्य के अन्वेषण की निरंतर प्रेरणा देती है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि –
“साथियों, हमारा संविधान आजाद भारत की ऐसी परिकल्पना के रूप में सामने आया, जो देश की कई पीढ़ियों के सपनों को साकार कर सके।”
उन्होंने कहा कि आजादी के अमृत-महोत्सव में देश आज स्वतंत्रता आंदोलन के अनकहे अध्यायों को सामने लाने के लिए सामूहिक प्रयास कर रहा है। जो सेनानी अपना सर्वस्व अर्पण करने के बाद भी विस्मृत रह गए, जो घटनाएं आजादी की लड़ाई को एक नई दिशा देने के बाद भी भुला दी गईं और जो विचार आजादी की लड़ाई को ऊर्जा देते रहे, फिर भी आजादी के बाद हमारे संकल्पों से दूर हो गए। देश आज उन्हें फिर से एक सूत्र में पिरो रहा है, ताकि भविष्य के भारत में अतीत की चेतना और मजबूत हो सके। इसलिए आज देश के युवा ‘अनकहे इतिहास’ पर शोध कर रहे हैं। किताबें लिख रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने पुस्तक के लेखक देश के दिग्गज पत्रकार व कुलाधिपति एस. जी. टी. विश्वविद्यालय “रामबहादुर राय” के संबंध में कहा कि हमारे यहां सामान्य जनमानस को प्रेरणा देने के लिए ऋषियों ने मंत्र दिया था- “चरैवेति चरैवेति चरैवेति।” एक पत्रकार के लिए तो यह मंत्र नए विचारों की खोज और समाज के सामने कुछ नया लाने की लगन ही उनकी सहज साधना होती है। मुझे खुशी है कि “रामबहादुर राय” अपनी लंबी जीवन यात्रा में इस साधना में लगे रहे हैं। आज उसकी एक और सिद्धि हम सबके सामने है। मैं आशा करता हूं कि “भारतीय संविधान : अनकही कहानी” आपकी यह पुस्तक अपने शीर्षक को चरितार्थ करेगी और देश के सामने संविधान को और भी व्यापक रूप में प्रस्तुत करेगी। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि –
“मैं इस अभिनव प्रयास के लिए रामबहादुर राय जी को और इसके प्रकाशन से जुड़े सभी लोगों को हार्दिक बधाई देता हूं।”
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि अधिकार और कर्तव्यों का तालमेल ही हमारे संविधान को खास बनाता है। हमारे अधिकार हैं, तो कर्तव्य भी हैं। कर्तव्य है तो अधिकार भी उतने ही मजबूत होंगे। इसलिए आजादी के अमृत-काल में आज देश कर्तव्य-बोध की बात कर रहा है। कर्तव्यों पर जोर दे रहा है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि – “बोध ही हमारा प्रबोध करता है। इसलिए एक राष्ट्र के रूप में संविधान के सामर्थ्य का उतना ही विस्तृत उपयोग कर पाएंगे, जितना हम अपने संविधान को गहराई से जानेंगे। हमारे संविधान की अवधारणा को किस तरह गांधीजी ने एक नेतृत्व दिया। साथ ही सरदार पटेल ने धर्म के आधार पर पृथक निर्वाचन प्रणाली को खत्म कर भारतीय संविधान को सांप्रदायिकता से मुक्त कराया। डॉक्टर आंबेडकर जी ने संविधान की उद्देशिका में बंधुता का समावेश कर ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ को आकार दिया। और डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद जैसे विद्वानों ने संविधान को भारत की आत्मा से जोड़ने का प्रयास किया।”
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस पुस्तक के संबंध में कहा कि –
“यह किताब ऐसे अनकहे अनेक पहलुओं से हमें परिचित कराती है। यह सभी पहलू हमें इस बात के लिए दिशा भी देंगे, कि हमारे भविष्य की दिशा क्या होनी चाहिए।”
वैसे तो हिन्दी पत्रकारिता जगत की दिग्गज शख्सियत वरिष्ठ पत्रकार “रामबहादुर राय” के ओजस्वी व शानदार व्यक्तित्व के बारे में कुछ भी लिखना सूर्य को दीपक दिखाने के समान है, उनके जीवन पथ पर चलते हुए बेहद सरल, अनुशासित व सिद्धांतवादी व्यक्तित्व को किसी लेखक या पत्रकार के द्वारा कलम के दायरे में बांधा नहीं जा सकता है। देश में “रामबहादुर राय” का एक पत्रकार के रूप में बेहद सम्मानजनक विशिष्ट स्थान है, वह पत्रकारिता जगत के बेहद सशक्त हस्ताक्षर हैं, उन्होंने अपनी कलम के माध्यम से हमेशा देश के आम जनमानस की आवाज को बुलंद करने का कार्य किया है, उन्होंने हमेशा जन सरोकारों के मुद्दों को तरजीह देकर निष्ठुर व जन विरोधी सत्ता के सिंहासन को हिलाने का कार्य किया है। वह एक ऐसे कलमकार हैं, जिनको देश में इमरजेंसी के दौरान मीसा कानून के अन्तर्गत सबसे पहले गिरफ्तार किया गया था, उनको मीसा कानून के तहत लंबे समय तक जेल में बंद रहना पड़ा था। उन्होंने अपनी सशक्त लेखनी से हिन्दी पत्रकारिता के क्षेत्र में हमेशा बहुत महत्वपूर्ण उल्लेखनीय योगदान देने का कार्य किया है, “भारतीय संविधान : अनकही कहानी” पुस्तक उसकी एक श्रेष्ठ शानदार बानगी है। “रामबहादुर राय” को अपनी लेखनी के द्वारा उल्लेखनीय सेवाओं के लिए भारत सरकार के द्वारा बेहद प्रतिष्ठित ‘पद्म श्री’ पुरूस्कार सम्मान से भी नवाजा गया है। वह पत्रकारिता जगत के अपने विभिन्न महत्वपूर्ण दायित्वों के साथ-साथ इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष के रूप में भी देश को अपनी सेवाएं देने का कार्य कर रहे हैं।
वरिष्ठ पत्रकार “रामबहादुर राय” ने अपनी 504 पृष्ठों की इस बेहद महत्वपूर्ण नयी शोध परक पुस्तक “भारतीय संविधान : अनकही कहानी” में संविधान के निर्माण के दौरान घटित विभिन्न घटनाक्रमों का संदर्भ के साथ पूरा तथ्यात्मक विवरण दिया है, उन्होंने इस पुस्तक में संविधान निर्माण से जुड़ी हुई बहुत सारी सुनी-अनसुनी कहानियों व बहुत सारे दावों को जो कि उस समय विभिन्न प्रकार से लिपिबद्ध किये गये थे, मौखिक वक्तव्य के रूप में उपलब्ध थे और समाचारपत्र व पुस्तकों में प्रकाशित विभिन्न आलेखों के विवरण के साथ उनकी विश्वसनीयता के लिए ठोस स्रोत व संदर्भ का पूर्ण उल्लेख करते हुए लिखने का कार्य किया है। उन्होंने अपनी इस ज्ञानवर्धक पुस्तक में भारतीय संविधान के निर्माण से जुड़े हुए ऐसे-ऐसे अनछुए पहलुओं को तथ्यात्मक विवरण के साथ उजागर करने का कार्य किया है, जिन पर देश के राजनीतिक गलियारों में अब बहुत लंबे समय तक चर्चा होती रहेगी। उनकी इस पुस्तक के माध्यम से संविधान निर्माण के वह तथ्य जो कि आज तक कभी भी आम या खास देशवासियों के सामने नहीं आ पाये, विभिन्न महत्वपूर्ण घटनाक्रम, तथ्य, कथ्य व ऐतिहासिक सत्य देश व दुनिया के भारतीय संविधान में रुचि रखने वाले सुधी बुद्धिजीवी पाठकों के लिए अब कलमबद्ध होकर एक पुस्तक के रूप में सुलभता से उपलब्ध है। हालांकि उनकी इस पुस्तक के विभिन्न अध्यायों में लिखित विभिन्न दावों के चलते समाज में संविधान निर्माण के संबंध में प्रचलित बहुत सारे दशकों पुराने दावों की धारणाओं को पूर्ण रूप से बदल सकती हैं और इसकी गूंज देश के आम जनमानस के बीच व देश के राजनीतिक गलियारों में भविष्य में बहुत लंबे समय तक सुनाई दे सकती है। यह एक ऐसी छोटी सी पुस्तक है कि जिसमें जगह-जगह दिये गये संदर्भों में एक बहुत बड़ा पूरा पुस्तकालय समाया हुआ है।
उनकी इस पुस्तक ने बुद्धिजीवी लोगों के मन में समय-समय पर चलने वाली संविधान निर्माण की गुत्थी को तथ्यात्मक विवरण के साथ सुलझाने का कार्य बेहद सरल शब्दों में बेहद सरलता के साथ किया है।
वैसे भी देखा जाये तो “रामबहादुर राय” के द्वारा लिखित “भारतीय संविधान : अनकही कहानी” एक ऐसी शोध परक पुस्तक है जो कि आज व भविष्य में पढ़ने लिखने में रुचि रखने वाले बुद्धिजीवी वर्ग के आम लोगों, देश के विभिन्न पदों पर आसीन नीतिनिर्माताओं, राजनेताओं, संविधान विशेषज्ञों, पत्रकारों, छात्रों, लेखकों, अधिवक्ताओं और संविधान से जुड़े मसलों के शोधकर्ताओं के लिए एक बहुत ही ज्ञानवर्धक और अनमोल उपहार साबित होगी, उनकी यह पुस्तक भविष्य में संविधान से जुड़े विभिन्न ज्वलंत मसलों पर एक मील का पत्थर साबित होगी। “रायबहादुर राय” की यह पुस्तक जहां लोगों को एकतरफ तो संविधान निर्माण के अतीत से रूबरू करवाती है, वहीं संविधान के वर्तमान व भविष्य को भी बखूबी दर्शाने का कार्य करती है। पुस्तक लोकार्पण का यह भव्य कार्यक्रम एस.जी.टी. विश्वविद्यालय, भारतीय शिक्षण मंडल, एकात्म मानवदर्शन प्रतिष्ठान एवं प्रभात प्रकाशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया था। “रामबहादुर राय” की पुस्तक “भारतीय संविधान : अनकही कहानी” को प्रभात प्रकाशन ने प्रकाशित किया है।
इस कार्यक्रम में अयोध्या के सांसद लल्लू सिंह, पूर्व सांसद के. सी. त्यागी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इंद्रेश कुमार, पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय गोयल, पूर्व विधायक रूप चौधरी, उत्तर प्रदेश सरकार के अपर मुख्य सचिव सूचना नवनीत सहगल, पत्रकारिता, राजनीतिक व नौकरशाही जगत की विभिन्न शख्सियत और गणमान्य लोग उपस्थित रहे।