स्वर्ण पदक विजेता डॉ• अर्चना शर्मा की आत्महत्या पर डॉ• सुमंत मिश्रा बोले, डॉक्टरों के साथ ऐसा बर्ताव ठीक नहीं
बृजेश कुमार(संवाददाता)
कुवैत – स्वास्थ्य मंत्रालय, कुवैत में कार्यरत डॉ• सुमंत मिश्रा ने गोल्ड मेडलिस्ट स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ• अर्चना शर्मा जी के मानसिक उत्पीड़न, जिसके कारण उन्होंने आत्महत्या कर ली, की खबर पर शोक व्यक्त करते हुए कहा है कि भारतीय समाज में डॉक्टरों को भगवान का मानवीय स्वरूप माना जाता है. नोवेल कोरोना-वाॅयरस अभी भी यहीं है और हम सभी देख रहे हैं कि हेल्थकेयर वर्कर्स अपने परिवार का बलिदान देकर, मरीज़ों के जीवन बचाने हेतू एक कोरोना-योद्धा के रूप में प्रतिरूपण कर रहे हैं एवं निःस्वार्थ भाव से २४X७ काम कर रहे हैं.
हेल्थकेयर पेशेवरों ने दिखाया है कि असली हीरो कौन हैं. सभी स्वास्थ्य पेशेवर अपने मरीजों की भलाई के लिए काम करते हैं.
एक उज्ज्वल स्वर्ण पदक विजेता डॉ•, स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ• अर्चना शर्मा जी को खोना बेहद निराशाजनक है (ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें और उनके परिवार और दोस्तों को सहन-शक्ति प्रदान करें.
डॉ• शर्मा जी राजस्थान पुलिस द्वारा उन पर चिकित्सकीय लापरवाही के अप्रमाणित आरोपों को लेकर दर्ज़ की गई ग़लत प्राथमिकी (एफ़•आई•आर•) से बेहद व्यथित थीं. बच्चे के जन्म के दौरान मरने वाले रोगी के परिवार और पुलिस के दबाव डॉ• शर्मा जी के लिए भावनात्मक तनाव का कारण बने और उन्होंने एक सुसाइड नोट को पीछे छोड़ते हुए ख़ुद को फांसी पर लटका लिया. सुसाइड-नोट में कहा गया था कि मरीज़ की मृत्यु पोस्ट-पार्टम हैमरेज (पी•पी•एच•) से हुई थी.
प्रसवोत्तर रक्तस्राव (पी•पी•एच•) बच्चे के जन्म की एक ज्ञात ख़तरनाक जटिलता है और भारत के सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) ने निर्देश दिया है कि बिना लापरवाही प्रमाणित किए किसी डॉ• पर कोई प्राथमिकी (एफ़•आई•आर•) दर्ज नहीं की जा सकती है.
हम समाज के लिए एक मूल्यवान संपत्ति, जो डाॅ• अर्चना शर्मा जी थीं, के उत्पीड़न और असामयिक मृत्यु में शामिल सभी लोगों के ख़िलाफ़ पारदर्शी जांच के साथ-साथ कड़ी कार्रवाई की आग्रह करते हैं.
क्या हम एक प्रसिद्ध जटिलता और अप्रमाणित चिकित्सा लापरवाही के लिए रोगी के परिवार, पुलिस अधिकारियों, प्रशासकों या नीति निर्माताओं द्वारा इसी तरह के मानसिक-यातना से प्रताड़ित होने के पात्र हैं? अब सुविचार तथा निष्पक्ष निर्णय लेने का समय है. अवधि. भावभीनी श्रद्धांजलि.