जिसकी तीसरी आंख नहीं खुली, वो गुरु को मनुष्य समझते हैं, ऐसे लोग यमराज के फंदे में आ जाते हैं

मांस-शराब व नशीली गोलियों के कारण दिल, दिमाग, बुद्धि खराब हो रही, बारूद के ढेर पर खड़े हो रहे, उनको है बचाने की जरूरत

जोधपुर (राजस्थान)निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, लोक और परलोक दोनों बनाने वाले, विश्वास दिलाने वाले, तीसरी आँख खोलने वाले, यमराज के फंदे से बचाने वाले, जीते जी प्रभु के दर्शन कराने वाले, इस वक़्त के मसीहा, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, त्रिकालदर्शी, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 11 सितम्बर 2023 सायं जोधपुर आश्रम (राजस्थान) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि आप लोग जिन्होंने गुरु महाराज (बाबा जयगुरुदेव जी) से नाम दान लिया था, आपने गुरु की दया भी लिया लेकिन अंदर की दया लेने वाले कम हैं और बाहर की दया लेने वाले ज्यादा लोग हैं। लड़के की नौकरी लग जाए, मुकदमा जीत जाएं, रोग ठीक हो जाए, घर का झगड़ा-झंझट खत्म हो जाए, रुपया-पैसा बरकत नहीं होती है, दे दो, इन चीजों को मांगने वाले तो बहुत मिल जाएंगे। इसमें यह चीज अगर न मिलती तो विश्वास न होता। विश्वास के लिए इन चीजों को गुरु महाराज ने दिया। गरीब से गरीब लोग जिनके बिवाइयां फटी रहती थी, जूते-चप्पल तक नहीं पहन पाते थे, मोटर कार पर चलने लगे, घर मकान बन गया, लड़के-बच्चे सेट हो गए, नौकरी पर चले गये, प्रतिष्ठित स्थान पर जाति बिरादरी में सम्मान हो गया।

जितनी गुरु की दया मिली उससे जीवों की रक्षा का काम कम करते हो, ज्यादा करो

समझो, गुरु महाराज ने दोनों तरह से लोगों को दिया। जो अंदर के घाट पर बैठते रहे, ध्यान भजन करते रहे, अंदर में उनको भी दिया। और बाहर में जिन चीजों को लोग चाहे, वो भी दिया। बहुत से लोग तो फंस गए, जिनको ज्यादा मिल गया, जिन लोगों की सारी की सारी इच्छाएं पूरी हो गई, जिस तरह की इच्छा लेकर गुरु महाराज के पास गए थे, उनकी इच्छाएं पूरी हो गई, फिर उनका (सतसंग में) आना-जाना हो गया बंद। लेकिन आप जो लोग अभी गुरु महाराज के आदेश का पालन करके, गुरु महाराज जी की बातों को याद करके, जो मेरे लिए कहा था कि पुराने लोगों की सम्हाल करेंगे और नए लोगों को नामदान देंगे, तो हमारे भी कार्यक्रम में आप आते हो, साप्ताहिक सतसंगों में भी जाते हो, गुरु के नाम का प्रचार भी करते हो, गुरु की दया भी लेते हो। आप यह मत सोचो कि गुरु के मिशन को पूरा करते हो तो गुरु के लिए कुछ किया। आपके लिए तो उन्होंने ज्यादा किया और गुरु का नाम-काम बढ़ाने में आप सहयोग कम कर पाते हो। इसका कारण यही है कि आप लोग मेहनत कम करते हो, जीवों की रक्षा का काम कम करते हो। जीवों की रक्षा का काम करो।

जीवों की रक्षा का काम करोगे तब आप गुरु के ऋण से उद्धार होते चले जाओगे

जीवों की रक्षा कैसे होती है ? एक तो अकाल मृत्यु से होती है और एक रक्षा जो शरीर छूटने के बाद नरकों में न जाएं, चौरासी की योनियों में न भटकें, कीड़ा-मकोड़ा, सांप, गोजर, बिच्छू के शरीर में न बंद किया जाय, इससे उनकी करो बचत। जो नामदानी नहीं है, जो बारूद के ढेर की तरफ बढ़ रहे हैं कि जिसमें कभी भी आग लग जाए और वह खत्म हो जायें, अकाल मृत्यु, प्रेत योनि में न चले जाएं। उनको बचाओ। उनकी बुद्धि खराब हो रही है जिनका खान-पान, विचार भावनाएं गलत हो गई। जो मांस-मछली, अंडा, शराब, शराब जैसे तेज नशे का सेवन करने लगे, उनकी बुद्धि सही नहीं है, वह गलत से गलत काम कर बैठते हैं। कब क्या कर डालें? कहां चले जाएं? कौन सा रोग हो जाए, उनको नहीं पता। उससे बचाने की जरूरत है जिससे शाकाहारी नशा मुक्त हो जाएं, दिल-दिमाग उनका काम करने लग जाए, सतसंगों में आने लग जांए, अच्छाई-बुराई का ज्ञान होने लग जाए और जीवात्मा नर्कों में न चली जाए, उनके पुराने बुरे कर्म जल जाएँ, उसके लिए उन्हें नामदान दिला करके भजन कराओ। जो नाम दान ले चुके हैं उनको भजन में लगाओ। सुमिरन, ध्यान, भजन उनको समझाओ। यह आप करने लग जाओगे तो धीरे-धीरे गुरु के ऋण से आप उद्धार होते चले जाओगे। नहीं तो गुरु के ऋण से उद्धार नहीं हो सकते हो। सन्तों की महिमा अनंत, अनंत किया उपकार। उन्होंने अनंत उपकार आपके साथ किया है इसलिए इस बात को आप मत भूलो।

जिसकी तीसरी आंख नहीं खुली वो गुरु को मनुष्य समझते हैं, ऐसे लोग यमराज के फंदे में आ जाते हैं

भूल तो जाते हो क्योंकि गुरु महाराज मनुष्य शरीर में थे। तो उनको मनुष्य ही समझते रहे, यही तो सबसे बड़ा भ्रम और भूल होता है। गुरु को मानुष जानते, ते नर कहिये अंध, महा दुखी संसार में, आगे यम का फंद। अब कोई अंधा है तो क्या किसी को देख करके पहचान लेगा? अंदर की आंख से गुरु की पहचान होती है। वह आंख तो है बंद, तीसरी आंख बंद है। बंद आंख वाले को क्या कहते हैं? अंधा ही तो कहते हैं। गुरु को जो मनुष्य समझते हैं उनकी आंख अंदर की नहीं खुली हुई है, ऐसे लोग यमराज के फंदे में आ जाते हैं क्योंकि अच्छाई-बुराई का ज्ञान कर नहीं पाते हैं, गुरु की बात पर विश्वास करके गुरु जो बताते हैं, आदेश का पालन नहीं करते हैं तो यमराज के फंदे में आ जाते हैं।

सुमिरन, ध्यान, भजन करोगे तो गुरु में प्रभु का दर्शन होगा

गुरु महाराज को पहचानने के लिए उन्होंने जो रास्ता बता दिया है सुमिरन, ध्यान, भजन का, उसको करो। उससे गुरु की पहचान अंतर में हो जाएगी। गुरु के रूप को जब अंतर में देखोगे तब पक्का विश्वास हो जाएगा। फिर सुख और शांति की तलाश में इधर-उधर भागोगे नहीं, लोगों के कहने में फिर आओगे नहीं। जब उस प्रभु का दर्शन कर लोगे, गुरु में उस प्रभु के रूप को देख लोगे तो आपको विश्वास हो जाएगा कि वह प्रभु निराकार नहीं साकार है।

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