अपनी पूजा-पाठ के साथ इसे भी करके देख लो, अबकी बार अपनी आत्मा का कल्याण नहीं करा पाए तो फिर चौरासी में जाना पड़ेगा
गोंडा (उ.प्र)जवानी में ही अपनी जीवात्मा के कल्याण का असला महत्वपूर्ण काम पूरा करने की शिक्षा, प्रेरणा, मार्ग, उपकरण, औजार, मानसिकता, उत्साह और सही दिशा देने वाले पूरे सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने कार्तिक पूर्णिमा कार्यक्रम में 26 नवम्बर 2023 दोपहर गोंडा (उ.प्र.) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि दिन-रात जो आ रहे हैं, उमर को काट करके खत्म कर दे रहे हैं। बुढ़ापा जब आएगा तो कुछ नहीं हो पाएगा। पक्की अनुभव की बात बता रहा हूं क्योंकि मैं भी बुढ़ापा झेल रहा हूं। फिर आप कुछ नहीं कर सकते हो। न दुनिया का, न दुनिया में कोई काम कर सकते हो, न ही परमार्थ का कोई काम और न उससे परे का कोई काम कर सकते हो।
संकल्प बनाने की जरूरत है कि हम अपने समय को बेकार नहीं जाने देंगे
समय तो निकला जा रहा है। चूकने की जरूरत नहीं है। वादे को याद करने की जरूरत है। आपको संकल्प बनाने की जरूरत है कि हम अपने समय को बेकार नहीं जाने देंगे। जिस काम के लिए हम यहां इस धरती पर आए हैं, यह मौका जो मिला है, उसे हम चूकेंगे नहीं। लख चौरासी भरम के पग में अटके आय। अबकी पासा न पड़ा फिर चौरासी जाय।।
पासा किसको कहते हैं
पहले के लोग जुआ खेलते थे। उसी में राज-पाट और द्रौपदी को हार गए थे। तो इस बार आपका दांव लग गया है, जीतने का दांव, ऐसे आप जीत गए हो। नहीं तो आप कीड़ा मकोड़ा में फिर भेज दिए जाते। एक-एक योनी जो छोड़कर के आए हो, उसी में फिर भेज दिए जाते हैं। तो पासा लग गया। पग यानी पैर। अब जैसे खेत की मेड होती है, एक तरफ आपका खेत और दूसरी तरफ दूसरे का खेत। मेड से एक पैर उठाकर के आप उधर रख दो तो दूसरे खेत में चले गए, बस इतना ही अंतर है। ऐसे ही ध्यान हटाकर उधर की तरफ लगाओगे तो बस उधर पहुंच जाओगे। यह काम अगर नहीं कर पाओगे तो चौरासी में, नरकों में फिर चला जाना पड़ता है जहां मारे-काटे, सडाये-गलाए जाते हैं, बहुत तकलीफ होती है। चेतने और कुछ करने की जरूरत है।
अपनी पूजा-पाठ के साथ इसे भी करके देख लो
आप तो कहोगे हम तो कुछ न कुछ करते हैं। धार्मिक हो। इतने भारी संख्या में, पचासों हज़ार आदमी बैठे हो। किसी एक ही भगवान को नहीं मानते हो। बहुत से भगवान को आप मानते हो। बहुत से लोगों को आप मानते हैं। लेकिन यह विचार करने की जरूरत है, जिन भगवान को आप मानते है, उनको कभी देखा? उनकी दो बात सुनी? उनसे दो बात नहीं किया, उनका दर्शन आज तक आपने नहीं किया तो जो भगवान का नाम आपको बताया जाएगा, उस नाम को करके आप देख लेना। जो भगवान का स्वरूप बताया जाएगा, उनके रूप को अंदर में आंख बंद करके ऐसे निहारोगे, तो आपको दिखाई पड़ेंगे, वह आपको मिल जाएंगे। आप कहेंगे, अभी जो कर रहे हैं, उसको कैसे छोड़ दें। उसको मत छोड़ो, जो आप कर रहे हो, जो नाम ले रहे हो, लो लेकिन आज जो बताया जाएगा, उसको आप जपना, करना। उसको आप करने लग जाओगे तो पूरा फायदा दिखेगा। आज आपको पांच नाम (नामदान) बताया जाएगा। यह हमेशा से नाम चला आ रहा है। इन्हीं नाम की व्याख्या जिनको भी जानकारी हुई, सब लोगों ने की है। राम न सकही नाम गुण गाई आदि।