वक़्त के महापुरुष जिस नाम को जगा लेते हैं वो नाम अपने निज घर पहुँचने में मददगार होता है जैसे अभी जयगुरुदेव नाम मददगार है
उज्जैन (म.प्र.)निजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, पांच नामों का नामदान देने के एकमात्र अधिकारी, इस समय के पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 29 नवंबर 2020 दोपहर उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि यह वह नाम है जो कभी खत्म होता ही नहीं है। जब से सृष्टि बनी तब से यह नाम चल रहा है। यह पांच नाम उनका है जो अपने-अपने देश के मालिक हैं। जब शुरू में रचना हुई थी तब नीचे के नाम नहीं थे। लेकिन जब-जब इसका विस्तार हुआ तो वहां पर उनका नाम पड़ गया। लेकिन जब तक महाप्रलय नहीं होता है, तब तक इनका देश खत्म नहीं होता है। तो बहुत दिनों से महाप्रलय हुआ नहीं तो यह नाम खत्म नहीं हुआ। जो पांच नाम आपको बताया जाएगा, वह बदलता नहीं है। और महापुरुष जिस नाम को जगाते हैं, मतलब अपनी आत्मा को जगा करके उसे मलिक के पास ले जाते हैं और उनसे पूछते हैं की जीवों के फायदा के लिए हमको कोई नाम आप बता दीजिए तो कभी तो बता देते हैं और कभी कह देते हैं कि तुम जो मुंह से बोल दोगे, उसी में ताकत आ जाएगी। जैसे आपके शरीर के अंदर ताकत बल पैदा हो जाए तो आप दूसरे को भी ताकत दे सकते हो, दूसरे की भी मदद कर सकते हो। आपके शरीर में 440 वोल्ट का करंट प्रवाहित कर दिया जाए तो जो करंट को पकड़ने से झनझनाहट जलन तकलीफ पैदा होगी, वही आपके शरीर को कोई छूएगा तो उसको भी उसी तरह का करंट लगेगा, उसी तरह की शक्ति का एहसास होगा। तो जो अपनी आत्मा को जगा लेते हैं, उनके मुंह से जो नाम निकल जाता है, उसी में पावर शक्ति आ जाती है और वही नाम काम करने लगता है। जैसे गुरु महाराज ने जयगुरुदेव नाम को जगाया। उनके मुंह से निकला। उन्होंने मुंह से जयगुरुदेव नाम बोल दिया तो उसमें ताकत आ गई। उन्होंने कहा इसमें परमात्मा की शक्ति है, परमात्मा का यह जगाया हुआ नाम है। तो जयगुरुदेव नाम में इतनी ताकत नहीं है कि आपको वहां (सतलोक) तक पहुंचा सके लेकिन मदद तो यह जयगुरुदेव नाम ले जाने में करेगा ही करेगा। जैसे आपको किसी बड़े अधिकारी के पास जाना है तो जैसे चपरासी या छोटा कर्मचारी मिल गया तो आपको वहां तक पहुंचने में मदद तो कर ही सकता है। इसी तरह से महापुरुषों द्वारा जगाया हुआ नाम मदद करता है। जैसे तमाम अवतारी शक्तियां हुई। अब उन नाम को लेते-लेते, याद करते हुए लोगों के अंदर धार्मिक भावनाएं जाग रही हैं, सोचने-विचारने लग जा रहे हैं, उनके आदर्श को, खान-पान को, चाल-चलन को देखकर के उसी तरह से अपना भी खान-पान, चाल-चलन बना रहे हैं। लेकिन यदि यह सोचोगे कि उनके (अवतारी शक्तियों के) नाम से उद्धार हो जाएगा तो उद्धार नहीं हो सकता है।
जो पांच नाम का सिमरन नहीं करता है वह लौट-लौट चौरासी आया
महाराज जी ने 15 जुलाई 2023 प्रातः उज्जैन आश्रम में बताया कि जितने भी सन्त आए, सब लोगों ने इन्हीं पांच नाम को लोगों को बताया था। पांच नाम का सुमिरन करे, सन्त कहे तब भव से तरे। जब यह पांच नाम का सुमिरन किया जाता है तब जीव भवसागर से पार हो पाता है, अंड लोक, पिंड लोक, ब्रह्मांड लोक से ऊपर जा पाता है। इन पांच नाम की कमाई जो नहीं करता है, जो इन नाम को नहीं जपता है, जो इन नामियों को याद नहीं करता है, वह तो लौट-लौट चौरासी आया, वह तो कोई ब्रह्मा का, कोई विष्णु का, कोई शिव आदि का पुजारी हैं। इनका काम क्या है? ब्रह्मा का काम-उत्पत्ति कर देना। जब जीव मर जाएगा तो उसे दूसरी जगह जाना पड़ेगा। संहार का काम शिवजी करते हैं। उत्पत्ति ब्रह्मा ने कर दिया, मनुष्य शरीर के लिए सारा मसाला तैयार कर दिया और विष्णु पालन का काम करते हैं। वह लोगों के खाने का इंतजाम कर देते हैं। कर्मों के अनुसार सबको मिल जाता है। और शिव संहार करते हैं। शिव देते भी है, औघड़ दानी कहा गया लेकिन काम में कोई रियायत नहीं करते हैं।
प्रथम जन्म गुरु भक्ति कर, दूसरे जन्म में नाम
महाराज ने 29 नवंबर 2020 दोपहर उज्जैन आश्रम में बताया कि यह नाम जो आपको बताया जाएगा, इसी को पाने के लिए पहले जन्म में बहुत भक्ति करनी पड़ती थी। प्रथम जन्म गुरु भक्ति कर, दूसरे जन्म में नाम, तीसरे जन्म में मुक्ति पद, चौथे में निजधाम। पहले जन्म में गुरु भक्ति कराते, सेवा करवाते थे, चाहे अपनी हो और चाहे दूसरों के लिए यानी व्यक्तिगत सेवा अलग होती है। लंगोटी-कपड़ा धोना, खाना बनाना, पैर दबाना आदि सेवा अलग होती है और सबके लिए रोटी बनाकर खिला देना, सबके लिए रहने की व्यवस्था कर देना, व्यवस्था बना देना जैसे लाउडस्पीकर लग गया, बैठने की व्यवस्था बना दी गई आदि तो ये सामूहिक सेवा होती है। एक जन्म में तो यही सब कराते थे। जीव जब दूसरा जन्म लेता था तब यह नाम देते थे। फिर जब तीसरा जन्म लेता था तब कहीं स्वर्ग और बैकुंठ तक पहुंचाते थे और फिर चौथा जन्म जब लेता था तो अपने घर, मालिक वतन के पास पहुंच पाता था, उस समुद्र में विलीन हो पता था जिसकी यह बूंद है। यह आत्मा वहां पहुंच पाती थी। (अब तो बहुत आसान करने की मौज चल रही है।)