रिर्पोट जावेद आरिफ
रायबरेली। मात्र 19 वर्ष की बाल्यावस्था में अमर शहीद हेमू कालाणी का प्रारोत्सर्ग सदा याद रखा जाएगा स्वतंत्रा के पश्चात उनकी प्रतिमा संसद परिसर में स्थापित हुई एवम भारत सरकार ने उनकी स्मृति में डाक टिकिट भी जारी किया।।
भारत को अंग्रेजी शासकों से मुक्त कराने के लिए जिन वीर सपूतों ने अपना बलिदान दिया उनमें एक क्रांतिकारी हेमू कालाणी का नाम भी था, जो मात्र 19 वर्ष की आयु में शहीद हो गए थे। हेमू कालाणी २३ मार्च २३ में जन्मे शहीद हुए 21 जनवरी 1943 बचपन से ही स्कूल जाने के साथ साथ क्रांतिकारी व्यक्तित्व के थे, कहते है महज 7 वर्ष की बाल्यावस्था में अपने मित्रो के साथ अंग्रेजो की बस्ती में तिरंगा लेकर चले जाया करते थे , वह अच्छे छात्र होने के साथ एक अच्छे तैराक एवम धावक भी थे।
8 अगस्त 1942 को अंग्रेज भारत छोड़ो एवम करो या मरो का नारा गांधी जी ने दिया था, सिंध प्रांत में जब यह नारा प्रज्वलित हुआ तब तो किशोरों एवम नवयुवकों के साथ हेमू कालाणी भी स्वराज सेना के जरिए आंदोलन की मुख्य धारा से जुड़ गए।
गोपनीय सूत्रों से सिंध के वीर सपूतों को जब यह जानकारी हुई की बलूचिस्तान में चल रहे उग्र आंदोलन को कुचलने के लिए 23 अक्टूबर 1942 की रात अंग्रेज सैनिक हथियार और बारूद से भरी गाड़ी सिंध के रोहिणी स्टेशन से होकर सखर से होती हुई बलूचिस्तान क्वेटा नगर जायेगी तो हेमू ने रेलगाड़ी को पलटने का जिम्मा अपने ऊपर ले लिया और अपने दो अन्य मित्रो नंद और किशन को साथ लिया और एक सूनसान स्थान पर एकत्रित हुए । हेमू और उनके दोनो मित्रो ने रिंच और हथौड़े की मदद से रेल लाइन की फिश प्लेट्स उखाड़ना शुरू कर दिया । रात के सन्नाटे में गूंजती हथौड़े की आवाज गस्त कर रहे अंग्रेजी सिपाहियो के कानो में पड़ी तो उन्होंने हेमू को पकड़ लिया ओर उनके दोनो मित्र नंद और किशन वहां से फरार हो गए। हेमू को जेल में लाकर कोड़े बरसाए गए और दोनो साथियों का नाम पूछा गया तो हेमू ने जवाब दिया रिंच और हथौड़ा। सखर की मार्शल लॉ कोर्ट ने पहले हेमू को आजीवन कारावास की सजा दी जो बाद में फांसी में तब्दील कर दी गई 21 जनवरी 1943 को प्रातः 7 बजकर 55 मिनट पर हेमू को फांसी पर लटकाया गया। सिंधु समाज रायबरेली शहीद हेमू कालाणी जी की स्मृति में हर साल ये आयोजन करवाता रहा है, केवल अपने देश ही नहीं अपितु पूरे विश्व में आज के दिन उनकी कुर्बानी को याद किया जाता है। मुख्य रूप से समाज की तरफ से
अध्यक्ष संजय जीवनानी, महामंत्री सुशील संतानी, मुखिया एवम लोकतंत्र रक्षक सेनानी रुचू मल संतनी, मुखिया राजेश एवम अनिल जी, सत्यानंद सावलानी एवम सुक्खू लाल कार्यक्रम संयोजक घनश्याम अटलानी एवम अन्य गणमान्य उपस्थित रहे।