कैट का सुझाव बातचीत के जरिए समाधान निकाले ट्रांसपोर्टर
पालघर/भायंदर
ललित दवे
कॉन्फ़डरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) महाराष्ट्र प्रदेश के महामंत्री एवं अखिल भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर ने बताया केंद्र सरकार द्वारा ब्रिटिश काल के क़ानूनों को वर्तमान परिस्थितियों के अनुसार भारतीय क़ानून में बदलने के कदम का कैट पूर्ण समर्थन करता है वहीं ट्रक ड्राइवरों द्वारा उठाये गये मुद्दे पर सरकार और उनके बीच बातचीत के ज़रिए समाधान निकाला जाने का आग्रह करता है। किंतु यह भी देखना ज़रूरी होगा की पुराने और नये क़ानून के बीच विवादित धारा में क्या अंतर है।
कैट का मानना है कि बदले गये क़ानून देश के बृहद हित में है जिनके दूरगामी परिणाम होंगे। इन क़ानूनों से निश्चित रूप से फ़ौजदारी क़ानून में एक क्रांति आएगी और बड़ा बदलाव होगा।जो भी क़ानून आता है उसके अलग अलग पहलू होते हैं । उस क़ानून से अगर किसी वर्ग को जायज़ तकलीफ़ होती है तो उसका समाधान निकाला जाना चाहिए।
अपराध के हर क़ानून में सजा का प्रावधान हमेशा से रहा है। हिट एंड रन के मामले में भी पहले के क़ानून में और नये क़ानून में सजा का प्रावधान रहा है। सजा कम या ज़्यादा हो सकती है। इस सजा को ट्रक ड्राइवर के जायज़ हित में कैसे देखा जाये, उस पर विचार की आवश्यकता है। एक्सीडेंट के बाद भीड़ अगर ड्राइवर, वाहन या माल को हानि पहुँचाती है तो उन लोगों को दंडित करने के लिए क़ानून में पर्याप्त प्रावधान होना चाहिए। यदि ऐसा होता है तो ड्राइवर कभी भी एक्सीडेंट के बाद नहीं भागेगा।
उक्त क़ानून अभी तक सरकारी अधिसूचना के ज़रिए लागू नहीं हुआ है और जब अधिसूचना जारी होगी उसमें यह भी घोषित होगा कि क़ानून किस तारीख़ से लागू होगा। इसलिए अभी समय है जब वार्ता के ज़रिए इसका हल निकाला जा सकता है। और यह कानून किसी भी प्रकार की गाड़ी चलाने वाले ड्राइवर पर लागू होने जा रहा है यानी यदि जो खुद की गाड़ी भी चला रहे हैं उनके लिए भी यह कानून लागू होगा।
लेकिन उस मुद्दे को लेकर सड़क पर आने से लोगों को बड़ी तकलीफ़ का सामना करना पड़ रहा है। स्कूली बच्चे, रोज़मर्रा की खाने पीने की चीज़ें, गाँव से शहर इलाज के लिए आने वाले लोग, व्यवसाय एवं अन्य कार्यों के लिए आवश्यक यात्रा करने वाले लोगों को बहुत तकलीफ़ हो रही है। जिसको देखते हुए ट्रक ड्राइवरों से अपील है कि संघर्ष छोड़कर वार्ता का रास्ता अपनाना देश हित में है।