श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में पूरे देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक मनाया जाता है श्री कृष्ण जन्माष्टमी
निहाल शुक्ला पत्रकार कौशांबी
लखनऊ/यूपी….हिंदू धर्म में जन्माष्टमी श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। इस बार 26 अगस्त के पूरे दिन कृष्ण जन्मोत्सव की धूम रहेगी और रात्रि के समय कान्हा का अभिषेक करने के साथ पूजन किया जाएगा।
पूरे देश में भादो मास में कृष्ण जन्मोत्सव की धूम रहती है। कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व भक्तों के लिए एक शुभ अवसर होता है, जो भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में पूरे देश ही नहीं बल्कि विदेशों तक मनाया जाता है। यह पर्व हर साल भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है और इस दिन को लेकर भक्तों के मन में कई दिनों पहले से ही विशेष उत्साह रहता है। जन्माष्टमी के दिन, भक्तगण उपवास रखते हैं और आधी रात्रि में यानी भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है।इस अवसर पर यदि आपको सही तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, अनुष्ठान, व्रत कथा और पारण समय की सही जानकारी मिल जाए तो आप व्रत और पूजन भली भांति कर सकते हैं। इस पर्व की देश ही नहीं बल्कि गूगल ट्रेंड में भी धूम है और हमें इसके बारे में गूगल पर खोजने पर कई जानकारियां मिल रही हैं।
क्या है जन्माष्टमी का इतिहास
हिंदू धर्म में भाद्रपद यानी कि भादो मास की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को श्री कृष्ण जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इसी तिथि को अंधेरी रात में रोहिणी नक्षत्र में मथुरा के कारागार में वसुदेव और उनकी पत्नी ने श्री कृष्ण को जन्म दिया था।
भगवान श्री कृष्ण का जन्म भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष के आठवें दिन की आधी रात के समय हुआ था। उसी दिन से इस पर्व को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाने लगा और इस दिन को भक्त श्री कृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाते हैं। जन्माष्टमी के दिन को आज भी पूरे देश में धूमधाम से कान्हा के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भक्त दिनभर उपवास करते हैं और उपवास को आधी रात जिस समय कृष्ण जी का जन्म हुआ था, उसी समय खोलते हैं।
पूरे देश में कृष्ण जन्माष्टमी बड़ी ही धूमधाम से मनाई जाती है। इस दिन कृष्ण मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है और लोग कृष्ण की पूजा करते हैं। भक्तजन दिन भर उपवास का पालन करते हैं और रात्रि में कृष्ण के बाल रूप का अभिषेक करने और उनके श्रृंगार के बाद व्रत तोड़ते हैं।
श्रीकृष्ण को माखन खाने का शौक था, इसलिए लोग इस दिन दही हांडी का आयोजन करते हैं। इसके लिए मटकी जमीन से ऊंचाई पर बांधी जाती है और कोई एक व्यक्ति मटकी में माखन भरता है। मटकी फोड़ने के लिए लोग एक-दूसरे के ऊपर चढ़कर एक पिरामिड का आकार बनाते हैं और सबसे ऊपर वाला व्यक्ति मटकी तोड़ता है।कृष्ण के इस्कॉन मंदिरों में जन्माष्टमी उत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन मंदिर को सुगंधित फूलों से सजाया जाता है। पूरे दिन कीर्तन और कृष्ण के भजन गाए जाते हैं। मंदिर के अलावा घरों में भी कृष्ण के जन्म का उत्सव मनाया जाता है।
मथुरा-वृंदावन में जन्माष्टमी कैसे मनाई जाती है?.
मथुरा को श्री कृष्ण की जन्म भूमि के रूप में जाना जाता है। इसी वजह से हर साल इस दिन पूरे मथुरा-वृन्दावन में उत्सव की धूम होती है और यह पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस दिन भक्तजन श्री कृष्ण की भक्ति में लीन रहते हैं और श्री कृष्ण जन्मभूमि में भव्य पूजन किया जाता है। वहीं वृन्दावन के बांके बिहारी मंदिर में कान्हा को शंख और पंचामृत से स्नान कराने के बाद उनका श्रृंगार किया जाता है।इस साल 26 अगस्त के पूरे दिन कृष्ण जन्मोत्सव की धूम रहेगी और रात्रि के समय कान्हा का अभिषेक करने के साथ पूजन किया जाएगा। मथुरा-वृन्दावन में कृष्ण जन्मोत्सव के समय मंदिर की घंटियां बजने लगती हैं और शंख नाद किया जाता है, जिससे संपूर्ण वातावरण भक्तिमय होने लगता है।इस साल जन्माष्टमी का पर्व 26 अगस्त, सोमवार को मनाया जाएगा।
भादो महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का आरंभ- 25 अगस्त 2024, रविवार को रात्रि 3 बजकर 39 मिनट पर होगा।अष्टमी तिथि का समापन 26 अगस्त, सोमवार, रात्रि 02 बजकर 19 मिनट पर होगा।चूंकि भगवान श्री कृष्ण का जन्म रोहिणी नक्षत्र में हुआ था और 26 अगस्त की आधी रात को यह नक्षत्र मिल रहा है, इसलिए जन्माष्टमी पर्व इसी दिन मनाना शुभ होगा।