ब्यूरो रिपोर्ट सोमनाथ सोनकर
बस्ती । कप्तानगंज छठ पूजा पर वरिष्ठ भाजपा नेता एवं समाजसेवी वीरेंद्र मिश्र ने सभी जनपद वासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हिंदू धर्म के तमाम बड़े त्योहारों में छठ पूजा का भी विशेष महत्व है छठ का पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर नहाय खाय से शुरू होता है पंचमी को खरना षष्ठी को डूबते सूर्य को अर्घ्य और सप्तमी को उगते सूर्य को जल अर्पित कर व्रत संपन्न किया जाता है. चार दिन चलने वाला इस पर्व में सूर्य और छठी मैय्या की पूजा की जाती है इस दिन व्रत रखा जाने वाला व्रत बेहद कठिन माना जाता है इस व्रत को 36 घंटों तक कठिन नियमों का पालन करते हुए रखा जाता है. यह व्रत संतान की लंबी उम्र उत्तम स्वास्थ्य और उज्जवल भविष्य की कामना के लिए रखा जाता है. छठ पूजा का व्रत रखने वाले लोग 24 घंटे से अधिक समय तक निर्जला उपवास रखते हैं उन्होंने कहा कि इस साल छठ पर्व की शुरुआत 17 नवंबर 2023 से हो रही है जिसका समापन 20 नवंबर को होगा. छठ में सूर्य देव की उपासना की जाती है. इसके साथ ही यह पर्व उषा प्रकृति जल वायु और सूर्यदेव की बहन षष्ठी माता को समर्पित है.यह व्रत संतान और सुहाग की दीर्घायु घर की सुख-समृद्धि व उन्नति के लिए रखा जाता है मान्यता है कि आप जिस मनोकामना के साथ छठ व्रत रखेंगे आपकी वह मनोकामना जरूर पूरी होगी
खरना छठ पूजा का दूसरा दिन होता है. इस साल खरना 18 नवंबर को है. इस दिन का सूर्योदय सुबह 06:46 बजे और सूर्यास्त शाम 05:26 बजे होगा. बता दें कि, खरना के दिन व्रती एक समय मीठा भोजन करते हैं. इस दिन गु़ड़ से बनी चावल की खीर खाई जाती है. इस प्रसाद को मिट्टी के नए चूल्हे पर आम की लकड़ी से आग जलाकर बनाया जाता है. इस प्रसाद को खाने के बाद व्रत शुरू हो जाता है हालांकि इस दिन नमक नहीं खाया जाता हैं.छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण तीसरा दिन संध्या अर्घ्य का होता है. इस दिन व्रती घाट पर आकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं. इस साल छठ पूजा का संध्या अर्घ्य 19 नवंबर को दिया जाएगा. 19 नवंबर को सूर्यास्त शाम 05:26 बजे होगा. बता दें कि छठ पूजा का तीसरा दिन बहुत खास होता है इस दिन टोकरी में फलों ठेकुआ चावल के लड्डू आदि अर्घ्य के सूप को सजाया जाता है. इसके बाद नदी या तालाब में कमर तक पानी में रहकर अर्घ्य दिया जाता है चौथा दिन यानी सप्तमी तिथि छठ महापर्व का अंतिम दिन होता है. इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण का होता है. इस साल 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. इस दिन सूर्योदय सुबह 06:47 बजे होगा. इसके बाद ही 36 घंटे का व्रत समाप्त होता है. माना जाता है कि छठ पूजा में मन-तन की शुद्धता बहुत जरूरी है. अर्घ्य देने के बाद व्रती प्रसाद का सेवन करके व्रत का पारण करती हैं।