न्यूज डेस्क/यूपी फाइट टाइम्स
कौशाम्बी//नगर पंचायत पूरब पश्चिम शरीरा मे चल रही ऐतिहासिक राम लीला में बाबा बालक दास के संरक्षण में बड़े ही धूमधाम से रामलीला का आयोजन हुआ जिसमें सैकड़ो कार्यकर्ता मौजूद रहे, अनिल गुरुजी , राम बहरी चौधरी, विकास पांडे सभासद वार्ड नंबर 12, वीरेंद्र सोनी वार्ड नंबर 13, आनंद केसरवानी जवाहर नंबर 11, अजीत रहना सभासद वार्ड नंबर 6, बैजनाथ सभासद वार्ड नंबर 7, हरि नारायण केसरवानी (गुड्डू एलआईसी), अभिषेक दुबे , शुभम मिश्रा , विनय त्रिपाठी , अनुज विश्वकर्मा , दीपू सिंह , गुरुसारण चतुर्वेदी ,वीरेंद्र सरोज।
रामू कोटेदार पश्चिम शरीरा आदि लोग मौजूद रहे।
पौराणिक कथा के अनुसार शिवजी का ‘पिनाक’ धनुष राजा जनक के पास था। एक बार बचपन में जब सीताजी अपनी सखियों के साथ खेल रही थीं, तभी उन्हें यह शिव धनुष दिखाई दिया और सीता ने उसे उठा लिया। वह धनुष जिसे सम्पूर्ण राज्य में कोई हिला भी न सका, उसे सीता को इतनी आसानी से उठाता हुआ देखकर राजा जनक अचंभित थे। यह दृश्य देखने के बाद ही राजा जनक ने यह निर्णय लिया कि सीता का विवाह वह उस पुरुष से करेंगे जो इस धनुष को उठाने में सक्षम होगा।
जिस धनुष को बड़े-बड़े सुरमा भी नहीं उठा सकते थे, उस धनुष को माता सीता ने बाल्यकाल में एक हाथ से ही उठा दिया। सम्भवतः स्वयंवर के समय माँ सीता ही उसे उठाकर स्वयंवर भवन तक लायीं होंगी।
वाल्मिकी रामायण के अनुसार भगवान श्री राम ने जो शिव धनुष तोड़ा उसको पांच हज़ार लोग जैसे तैसे खींच के जनक, विश्वामित्र और राम लक्ष्मण के समक्ष लेे के आए थे।रामायण के अनुसार यह धनुष एक विशालकाय लोहे के संदूक में रखा हुआ था। इस संदूक में आठ बड़े-बड़े पहिये लगे हुए थे। उसे पांच हजार मनुष्य किसी तरह खींचकर लाए थे।
महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित ‘रामायण’ में सीता स्वयंवर का वर्णन नहीं है। रामायण के अनुसार भगवान राम व लक्ष्मण ऋषि विश्वामित्र के साथ मिथिला पहुंचे, तब विश्वामित्र ने ही राजा जनक से श्रीराम को वह शिवधनुष दिखाने के लिए कहा। तब पांच हजार लोगों द्वारा शिव धनुष को खींच कर उनके सम्मुख लाया गया। भगवान श्रीराम ने उस धनुष को उठा लिया और उनके द्वारा प्रत्यंचा चढ़ाते समय वह धनुष टूट गया।