जब तब जीव में अभिमान आता है तो भगवान उनसे दूर हो जाते है.. आदित्य कृष्ण महाराज,
श्रीमद भागवत कथा का आयोजन मुख्य यजमान शोभा नाथ दुबे के तत्वाधान में किया जा रहा है।
यूपी फाइट टाइम्स से संवाददाता निहाल शुक्ला
कौशाम्बी।चायल के सैय्यद सरावां ग्राम पंचायत के रामलीला मैदान परिसर में चल रही संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन कथा व्यास आदित्य कृष्ण महाराज ने कंस वध व रुकमणी विवाह और श्री कृष्ण रासलीला के प्रसंगों का चित्रण और वर्णन किया। इस दौरान भक्ति संगीत से श्रद्धालू झूमते रहे।श्रीमद भागवत कथा का आयोजन मुख्य यजमान शोभा नाथ दुबे के तत्वाधान में किया जा रहा है।
कथा व्यास आदित्य कृष्ण महाराज ने बताया कि भगवान विष्णु के पृथ्वी लोक में अवतरित होने के प्रमुख कारण थे, जिसमें एक कारण कंस वध भी था। कंस के अत्याचार से पृथ्वी त्राह त्राह जब करने लगी तब लोग भगवान से गुहार लगाने लगे। तब कृष्ण अवतरित हुए। कंस को यह पता था कि उसका वध श्रीकृष्ण के हाथों ही होना निश्चित है। इसलिए उसने बाल्यावस्था में ही श्रीकृष्ण को अनेक बार मरवाने का प्रयास किया, लेकिन हर प्रयास भगवान के सामने असफल साबित होता रहा। 11 वर्ष की अल्प आयु में कंस ने अपने प्रमुख अकरुर के द्वारा मल्ल युद्ध के बहाने कृष्ण, बलराम को मथुरा बुलवाकर शक्तिशाली योद्धा और पागल हाथियों से कुचलवाकर मारने का प्रयास किया, लेकिन वह सभी श्रीकृष्ण और बलराम के हाथों मारे गए और अंत में श्रीकृष्ण ने अपने मामा कंस का वध कर मथुरा नगरी को कंस के अत्याचारों से मुक्ति दिला दी।
कंस वध के बाद श्रीकृष्ण ने अपने माता-पिता वसुदेव और देवकी को जहां कारागार से मुक्त कराया, वही कंस के द्वारा अपने पिता उग्रसेन महाराज को भी बंदी बनाकर कारागार में रखा था, उन्हें भी श्रीकृष्ण ने मुक्त कराकर मथुरा के सिंहासन पर बैठाया।
गौरतलब हो कि श्रीमद्भागवत कथा के छठवें दिन कथावक्ता आदित्य कृष्ण महाराज ने कंस वध और रूक्मणी विवाह के अतिरिक्त भगवान की अनेक लीलाओं में श्रेष्ठतम लीला रास लीला की कथा भी सुनाई। लीला का वर्णन करते हुए बताया कि रास तो जीव का शिव के मिलन की कथा है। यह काम को बढ़ाने की नहीं काम पर विजय प्राप्त करने की कथा है। इस कथा में कामदेव ने भगवान पर खुले मैदान में अपने पूर्व सामर्थ्य के साथ आक्रमण किया है लेकिन वह भगवान को पराजित नही कर पाया उसे ही परास्त होना पड़ा है रास लीला में जीव का शंका करना या काम को देखना ही पाप है। गोपी गीत पर बोलते हुए व्यास ने कहा जब तब जीव में अभिमान आता है भगवान उनसे दूर हो जाता है लेकिन जब कोई भगवान को न पाकर विरह में होता है तो श्रीकृष्ण उस पर अनुग्रह करते है उसे दर्शन देते है। भगवान श्रीकृष्ण के विवाह प्रसंग को सुनाते हुए बताया कि भगवान श्रीकृष्ण का प्रथम विवाह विदर्भ देश के राजा की पुत्री रुक्मणि के साथ संपन्न हुआ लेकिन रुक्मणि को श्रीकृष्ण द्वारा हरण कर विवाह किया गया। इस कथा में समझाया गया कि रुक्मणि स्वयं साक्षात लक्ष्मी है और वह नारायण से दूर रह ही नही सकती यदि जीव अपने धन अर्थात लक्ष्मी को भगवान के काम में लगाए तो ठीक नही तो फिर वह धन चोरी द्वारा, बीमारी द्वारा या अन्य मार्ग से हरण हो ही जाता है। धन को परमार्थ में लगाना चाहिए और जब कोई लक्ष्मी नारायण को पूजता है या उनकी सेवा करता है तो उन्हें भगवान की कृपा स्वत ही प्राप्त हो जाती है। श्रीकृष्ण भगवान व रुक्मणि के अतिरिक्त अन्य विवाहों का भी वर्णन किया गया। कथा के दौरान आदित्य कृष्ण महाराज ने भजन प्रस्तुत किए।
इस दौरान भक्त झूमते नज़र आएं।श्री मद भागवत कथा के संयोजक कोमनाथ दुबे, सोमनाथ दुबे, श्रीनाथ दुबे, राजेन्द्र दुबे ने बताया कि कथा का भंडारा 23 नवंबर को होगा।इस दौरान लवकुश शुक्ला, कुश शुक्ला, बसंत, कमल, सुरेश शुक्ला, राजू, कुलदीप, संदीप, वीर प्रताप, पवन, सिद्धार्थ, मानस, ऋषभ, हार्दिक शौर्य,चौकी प्रभारी सैय्यद सरावां अयोध्या प्रसाद, सहित तमाम पुलिस कर्मी और सैकड़ों की संख्या में आम जनमानस उपस्थित रहीं।