आगे का समय विनाशकारी, बचे वही जो शाकाहारी, इसलिए हाथ जोड़कर विनय हमारी, तजो नशा बनो शाकाहारी
उत्तराखंडनिजधामवासी बाबा जयगुरुदेव जी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि आदमी जो चीज खाता है, उसी का खून बनता है। मांसाहार जब से बढ़ा तब से बीमारियां भी बढ़ी क्योंकि खून बेमेल हो गया तो बीमारियां बढ़ गई, असाध्य रोग हो गए। उसी खून से बुद्धि अक्ल दूषित हो गई। जानवरों को मांस जो खाया, उसका खून है। वही खून जो भाव-भक्ति खत्म करता है, बुद्धि खराब होती है। जो जानवरों को मांस खाते हैं और इसी शरीर से पूजा-पाठ करते हैं तो वो कबूल नहीं होती। इसको पाक साफ रखना जरूरी है तब कोई पूजा-पाठ कबूल करेगा, तभी वह खुश होगा। और नहीं तो फिर ऐसे ही समय बेकार जाएगा। जो लोगों का पाप साफ कराओगे फिर अंदर में गंदगी हटेगी तब उस प्रभु का दर्शन होगा, आंख कान का पर्दा हटेगा, तब वह मैल हटेगा तब उसकी आवाज सुनाई पड़ेगी। तो जो असला लक्ष्य आपको बताया गया मनुष्य शरीर पाने का, वह तब पूरा होगा।
प्रेमियो! मनुष्य शरीर के बारे में लोगों को बताओ कि किसलिए मिला
प्रेमियो! इसका करो प्रचार। लोगों को यह बात बताओ की भाई यह मनुष्य शरीर किराए के मकान की तरह है। एक दिन खाली कर देना पड़ेगा। फिर यह धन-दौलत, दुनिया की चीजें कोई भी साथ नहीं जाएगी। सब यही छूट जाएंगी। यहां तुम्हारी कुछ चीज है नहीं। तो वहां के लिए भी कुछ कर लो। नहीं तो वहां मार पड़ेगी, नरकों में जाना पड़ेगा, चौरासी में चक्कर काटना पड़ेगा। शरीर छोड़ने के बाद तो कुछ नही कर पाओगे। और नामदान के बारे में बताओ। नाम के बारे में बताओ। लोगों के अंदर इच्छा पैदा करो कि नाम को लेकर के नाम की कमाई करें, नाम की डोर को पकड़ करके प्रभु के पास आने-जाने लग जाए तो इसका करो प्रचार।
धन दौलत चला गया तो फिर मिल जाएगा पर मनुष्य शरीर दुबारा नहीं मिलेगा
आगे का समय खराब आ रहा है। उससे बचने का उपाय आप बताओ कि- बचे वही जो शाकाहारी, आगे का समय विनाशकारी। इसलिए उनको बताओ। शाकाहारी होंगे तो बुद्धि सही होगी। अब कोई मान लो आग लगी और आप चिल्ला रहे हो कि भाई जल्दी करो, खाली करो, बगल के घर में आग लग गई, जल्दी करो या जैसे धरती हिली और आपने आवाज लगाया और मान लो कोई मूर्ख है बुद्धि नहीं है तो निकल पाएगा? नहीं निकल पाएगा। वह भाग नहीं सकता है। आगे का समय बहुत खराब है। अगर उसकी बुद्धि सही नहीं करोगे तब वह लपेट-चपेट में आ जाएगा। घर, कपड़े, धन-दौलत जल जाएगा तो फिर मिल जाएगा लेकिन अगर शरीर जल गया तो फिर दुबारा मिलेगा? नहीं मिलेगा। इसलिए लोगों की बुद्धि सही रखना बहुत जरूरी है।
जब युग बदलता है तो क्या होता है
वही लोग खराब समय से बच पाएंगे जिनकी बुद्धि सही होगी, जो उसके लायक होंगे, जो सतयुग देखने के लायक बन जाएंगे। क्योंकि हर युग में हर युग का समावेश होता है, रहता है। लेकिन कभी-कभी जब अत्याचार पापाचार ज्यादा बढ़ जाता है तब समझो उसको खत्म करने के लिए आते हैं। युग का परिवर्तन होता है। जैसे त्रेता में परिवर्तन हुआ। द्वापर में हुआ, कलयुग में भी होगा। ये भी आप देख लो कि युग समय जब बदलता है तब मरते बहुत हैं। त्रेता में भी बहुत लोग मरे। एक लाख पूत, सवा लाख नाती, ता रावण घर, दिया न बाती। जैसे देखो द्वापर में बहुत मरे, 11 अक्षौहिणी सेना 18 दिन के अंदर खत्म हो गई, 56 करोड़ यदुवंशी 1 घंटे में खत्म हो गए। कलयुग में सतयुग आने की बात धार्मिक ग्रंथों में मिलती है।
अब कलयुग में भी सतयुग आने की बात मिलती है। बहुत मरेंगे। अकाल मृत्यु में जब जाते हैं तब प्रेत बन जाते हैं। उनका मुंह बहुत पतला, पेट बहुत बड़ा होता है। पेट ही नहीं भरता, परेशान रहते हैं और दूसरे के ऊपर जब लग जाते हैं तो परेशान करते रहते हैं। इसलिए बचो और बचाओ।