बस में किये बड़े भूत से छोटे भूतों को डांट-मार से भगा कर अस्थाई आराम दिलाने वाले ओझा तांत्रिक बहकाते हैं कि हमने देवी-देवता बस में कर रखें हैं
बावल (हरियाणा) छोटी-मोटी सिद्धियाँ, चमत्कार जो केवल अल्पकालीन आंशिक लाभ देते हैं, इनमें फंसकर बड़ी चीज, स्थाई व पूर्ण समाधान से महरूम न होने की शिक्षा देने वाले, प्रभु की दया कृपा को ही प्राप्त करने के उपाय बताने वाले, इस समय के पूरे समरथ सन्त सतगुरु दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि यह संसार क्या है? मुसाफिर खाना है। इसको छोड़ करके एक दिन जाना है। रहना तो मृत्यु लोक में ही है। अगर समय से पहले इसको छोड़ करके जाओगे तो कैसे जाओगे? कहां जाओगे? जहां (निज घर) जाना है, वहां कैसे पहुंच पाओगे? अगर कोई मर भी गया, उम्र पूरी किए बिना अकाल मृत्यु भी हो गई तो प्रेत योनि में जाना पड़ेगा।
जबरदस्त प्रेत कमजोर प्रेत को बहुत मारते हैं
मनुष्य को तो भी आराम रहता है, खाने-पीने के लिए किसी से मांगता है तो दे देता है। लेकिन प्रेतों को बहुत दिक्कत, खाने की दिक्कत रहती है। हमेशा दु:खी रहते हैं। जान बचाते फिरते हैं। कोई जबरदस्त प्रेत अगर रास्ते मिल जाएगा तो मार करके सही कर देगा क्योंकि भूत, भूत को बहुत मारते हैं। जब मारने लगते हैं तो चिल्लाने की आवाज दस-दस कोस तक जाती है। कोई बचाने वाला नहीं होता है, इसीलिए डरते हैं। अगर किसी को हल्का-फुल्का भूत लग गया तो जो ओझा-सोखा, तांत्रिक कोई बड़ा भूत बस में किए हुए होते हैं, उनके पास जब जाता है तो डांट-फटकार, मार करके भगा देते हैं, तो आराम मिल जाता है।
कुछ लोग भूतों को बस में करके क्या करवाते हैं
वो लोग कैसे कहें कि हम भूत को बस में किए हुए हैं। तो कहते हैं कि हमने देवी को, देवता को, हनुमान जी को वश में कर लिया। इनके ऊपर शीतला, दुर्गा, विष्णु भगवान आते हैं। ऐसे-ऐसे नाटककार लोग दिखाई पड़े जिन्होंने सतसंगियों से कहा कि जयगुरुदेव बाबा हमारे सिर पर आते हैं, ऐसा प्रचार तक हमको सुनाई पड़ा। तो कहने का मतलब यह है प्रेमियो पहले तो जाना नहीं है, समय पूरा हो जाएगा तभी जाना है। रहना इसी मृत्यु लोक में है। यह चीज समझ में आ जाए कि- जोगिया रमी चलो, देशवा वीराना है, वीराना मतलब दूसरे का है, यह चीज समझना जरूरी है।
यहां बड़ी होशियारी से, आगे-पीछे का याद रखते देखते हुए चलना है
यह उस काल भगवान का देश है जिसने ये सारी दुनिया की चीजें हमारे-आपके खाने, पहनने, रहने के लिए बनाई। उन्होंने ही हमको-आपको शरीर भी दिया है। उन्होंने ही इसमें आख, कान, नाक, मुंह, इंद्रिया बनाई है। यह उनका देश है। यहां बड़ी होशियारी चलना है। पीछे-आगे का याद रखते-करते हुए चलना है क्योंकि यह क्या है- एक सफ़र है।
मुसाफिर किसको कहते हैं
जो एक जगह बैठने वाला नहीं होता, चलने-फिरने वाला होता है। हम सब लोग मुसाफिर हैं। इसमें पीछे का भी याद रखना है। क्या? यह दुनिया संसार छोड़ने वाले हमारे परिवार के ही लोग थे। किसी के दादा जी, पिता, मां, बेटा चले जा रहे हैं। पीछे का भी याद रखना है और आगे का भी याद रखना कि हमको भी छोड़ना पड़ेगा। जैसे ये लोग यहां से जा रहे हैं, ऐसे ही हमको भी जाना पड़ेगा। कम उम्र में ही अगर सीख जाए, जैसे बच्चे कुछ आप बैठे हो, जवानी आने का समय है, फिर बुढ़ापा आएगा, फिर आपका शरीर नियम के अनुसार छूटेगा। लेकिन बचपन से ही अगर सीख जाओ तो आप धोखा नहीं खाओगे।