भाजपा नेता एवं प्रबंधक राघवेंद्र सिंह ने विभिन्न प्रांतो से आए हुए वैज्ञानिकों एवं शोधार्थियों का किया स्वागत
ज्ञानेश्वर बरनवाल देवरिया
भाटपार रानी (देवरिया)
पहले शारीरिक श्रम अधिक होता था,इसलिए लोग निरोग रहते थे|अब भारत डायबिटीज का हब बनता जा रहा है। हर चौथा व्यक्ति डायबिटीज से पीड़ित है। यह रोग अन्य व्याधियों का जनक है ।इस विषम परिस्थिति से निपटने के लिए हमें ऐसे आहार को अपने जीवन शैली में शामिल करना पड़ेगा जो डायबिटीज से मुक्ति दिला सके एवं हमारा पेट भर सके ।साथ ही साथ मानव जीवन में पोषकीय
एवं औषधि संभावना को बढ़ा सके। संपूर्ण विश्व इसके निदान में मिलेट्स के पीछे चल पड़ा है।भारत अगवानी करने के लिए सबसे पहले खड़ा है।
उक्त बातें काशी हिंदू विश्वविद्यालय वाराणसी आयुर्वेद विभाग के प्रोफेसर डॉ जसमीत सिंह गुरुवार को कस्बे के मदन मोहन मालवीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय सभागार में आयोजित “वर्तमान समय में मोटे अनाज की संवहनियता तथा मानव जीवन में इसके पोषकीय एवं औषधि संभावना” नमक दो दिवसीय गोष्ठी में उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि कहीं।उन्होंने ने मिलेट्स को मानव स्वास्थ्य का आधार बताया तथा पोषण संबंधी लाभ को बताते हुए इसके वैल्यू एडेड प्रोडक्ट के बारे में विस्तार से चर्चा किया। संस्थान के प्रबंधक व वरिष्ठ भाजपा नेता राघवेंद्र वीर विक्रम सिंह ने देश के विभिन्न प्रांतो से आए वैज्ञानिकों एवं शोधार्थियों का स्वागत किया।विषय की उपादेयता पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डाला और कहा कि वर्तमान समय में संपूर्ण विश्व मिलेट्स की तरफ चल पड़ा है। हमें गर्व है इसकी अगवानी भारत कर रहा है। विशिष्ट अतिथि दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर के वनस्पति विज्ञान के आचार्य प्रोफेसर वशिष्ठ नारायण पांडेय ने पृथ्वी पर पौधों के महत्व को परिभाषित करते हुए बताया कि इस पृथ्वी पर पौधे हमारे भगवान हैं। वे हमें सब कुछ प्रदान करते हैं। वे रोटी कपड़ा मकान के साथ-साथ औषधि तथा प्राण वायु भी प्रदान करते हैं। मोटा अनाज हमारे इतिहास से जुड़ा हुआ अनाज है। इसमें विभिन्न पोषक तत्वों के साथ फाइबर तथा मिनरल की प्रचुरता हमें बीमारियों से बचाता है।तकनीकी सत्र के दौरान गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर के अवकाश प्राप्त आचार्य भूगोल विभाग के प्रोफेसर रामबरन पटेल ने बताया की किस प्रकार ग्रामीण क्षेत्रों में परंपरागत पौधों के बीज को संरक्षित कर हम अपने कृषि को वर्तमान समय में और अधिक सक्षम और समर्थवान बना सकते हैं। बदलते हुए जलवायु में परंपरागत फ़सले lही हमारा आधार बनेगी। इनको हमें संजो कर रखना है। स्वस्थ रहने के लिए अगली पीढ़ी हम उपहार में मिलेट्स को दे सकते हैं। सम्मेलन को जय नारायण विश्वविद्यालय छपरा के प्रोफेसर कमल ने फसलों के डाइवर्सिटी तथा लोगों के फीडिंग हैबिट में परिवर्तन लाने की बात कही। सम्मेलन में कौंसिल ऑफ़ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च नई दिल्ली से आए हुए वैज्ञानिक डॉ जितेंद्र नारायण ने फसलों के जिनोमिक्स अध्ययन पर बल देते हुए परंपरागत फसलों को संरक्षित करने के लिए अधिक प्रयत्न करने की सलाह दी। संस्थान की उपाध्यक्ष डॉ पवन कुमार राय ने डॉक्टर खादर वाली के मिलेट्स के संरक्षण के विषय में किए गए योगदान को याद कि या तथा इनके खेती को स्वास्थ्य व समृद्धि दोनों के लिये उपादेय बताते हुये कहा कि जलसंरक्षण के क्षेत्र में मैटे अनाजों की महती भूमिका है ।अंत में गोष्ठी को ईस्टर्न साइंटिस्ट के चीफ एडिटर डॉ आर अचल ने मिलेट्स की उपादेयता पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डालें। गोष्ठी में डॉ संजय सिंह ,डॉ हरिशंकर गोविंद राव, डॉ भावना सिन्हा, प्रोफेसर रजनीश कुमार, प्रोफेसर सुभाष चंद्र, डॉ संजय कुमार, डॉ अमरनाथ ,डॉ सुधीर कुमार, डॉ सतीश चंद्र मिश्र, डॉ कुल भास्कर के अतिरिक्त विभिन्न महाविद्यालय तथा विश्वविद्यालय की शिक्षकों ने पेपर की प्रस्तुतीकरण किया। संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे प्राचार्य प्रोफेसर सतीश चंद्र गौड़ ने आगंतुक अतिथियों को स्वागत किया एवं अंग वस्त्र तथा बुके देकर उन्हें सम्मानित किया ।संयोजक प्रोफेसर राम अवतार वर्मा ने सम्मेलन में आए हुए सभी अतिथियों तथा प्रतिभागियों के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया। संचालन डॉक्टर रणजीत सिंह ने की। समारोह का शुभारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन कर सरस्वती चित्र पर पुष्प अर्पित कर किया गया।
गोष्ठी का संबोधन सेवानिवृत प्रोफेसर देवेंद्र प्रताप मिश्रा ,प्रोफेसर कमलेश नारायण मिश्र ,प्रोफेसर सुधीर कुमार शुक्ल, डॉ राकेश कुमार आदि ने किया।
गोष्ठी में डॉ सुशील पांडेय डॉ अवनीत सिंह, डॉ पूनम यादव ,डॉ रवि सिंह, डॉ दिनेश शर्मा, डॉ महेंद्र कुमार मिश्रा, डॉक्टर धर्मजीत मिश्र, डॉ ज्ञान प्रकाश ,डॉ एसके पाठक, डॉ मनीष नाथ त्रिपाठी, डॉ अजय कुमार सिंह, शिवप्रसाद, प्रवीण शाही, शिव प्रताप सिंह, दिवाकर, प्रिंस कुमार, ठाकुर, सरल आदि ने प्रतिभाग किया।