मार-काट खून-खराबा वाली जगह पर सो जाओ तो खराब सपने आते हैं, जमीन का असर होता है
शिरड़ी (महाराष्ट्रवक़्त के महापुरुष, पूरे समर्थ सन्त सतगुरु दुखहर्ता उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज जी ने अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित सन्देश में बताया कि आपको मनुष्य शरीर कुछ समय के लिए उस प्रभु ने दिया है। यह भी कहा था, इसको साफ सुथरा रखना, गंदा मत करना। गंदा कैसे होता है? एक अंदर से, एक बाहर से होता है। बाहर से जैसे मिट्टी गोबर कालिख लग जाती है तो साफ कर लेते हो। अंतरात्मा भी गंदा होती है, जिसको फकीरों ने हुजरा कहा, उसको भी साफ करना पड़ता है क्योंकि उस (प्रभु) का बैठने का सिंहासन तो वहीं पर है। अंतर में दिखाई देता, आवाज सुनाई पड़ती है। अंतर की जगह जब गंदी रहेगी तो न वो मालिक बैठेगा न दिखाई पड़ेगा न उसकी प्रकाश धारा रोशनी दिखाई पड़ेगी। बाहरी गन्दगी तो साफ़ हो जाती है लेकिन अंतर की गंदगी कोई जानकार ही साफ करता है।
भीष्म के ज्ञान पर हंसी द्रोपदी
जैसा खाओ अन्न वैसा होवे मन। भीष्म पितामह योगी थे। बाणों की शैय्या पर लेटे हुए थे। बहुत अच्छी-अच्छी बात बता रहे थे, ज्ञान का उपदेश कर रहे थे। द्रोपति ने पूछा, उस समय आपकी बुद्धि कहां चली गई थी जब मुझे नंगा किया जा रहा था? बोले कि मैं उस समय दुर्योधन पापी का अन्न खा रहा था, मेरी बुद्धि भ्रष्ट हो गई थी। तो सोचो जब मांस मछली लोग खायेंगे तो कैसे बुद्धि सही रहेगी। आज पेट के लिए लोग गुनाह पर गुनाह करते चले जा रहे, यह नहीं सोच रहे कि एक दिन इंसाफ के तख्त पर खड़ा होना पड़ेगा। तीसरी आंख के सामने मांस मछली खाने और बुरे कर्मों के जमा होने से खुदा गॉड भगवान दिखाई नहीं पड़ रहे, न लोगों को भविष्य की हो रही जानकारी।
स्थान का असर होता है, श्रवण कुमार का प्रसंग
गलत जगह पर कहीं बैठोगे, सो जाओगे, जहां मार-काट, खून-कत्ल हुआ है, वहां सो जाओ तो रात में कई बार जागना पड़ेगा, सपने भी बुरे-बुरे आएंगे स्थान का असर होता है। श्रवण कुमार अपने माता-पिता को लेकर डोली में बैठकर चारों धाम करने के लिए निकला था। दिल्ली में जब पहुंचा तो उसकी बुद्धि खराब हो गई, कहने लगा जिंदगी बर्बाद हो गई, तुम बूढ़ों की वजह से मैं बहुत परेशान हूं। बाप ने पूछा बेटा कहां हो इस समय पर? बोला दिल्ली में। कहे यहां से हमको ले चलो, ब्रजभूमि में छोड़ देना। वह स्थान जहां मारपीट हुई थी, जहां से जीव हत्या का कानून बना था, वहां से जब दोनों को लेकर के हटा, ब्रजभूमि पर छोड़ा। ब्रजभूमि पर माता-पिता ने कहा, हमको छोड़ दो। तुम शादी-ब्याह करो, जीवन यापन करो। बोला मातृ-पिता देवो भव: आप मेरे देवता हो, भगवान हो, मैं आपको कैसे छोड़ सकता हूं। मां ने पिताजी से पूछा, आखिर इसको वहां क्या हो गया था? बोले भूमि का असर हो गया था। जमीन का, अन्न का, साथ का असर हो जाता है।