जिला कारागार में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन।
रिपोर्ट दिलीप भटट गोन्डा।
*गोन्डा।* उ० प्र० राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण , लखनऊ व माननीय जनपद न्यायाधीश डा० दीपक स्वरूप सक्सेना के निर्देशानुसार जिला कारागार गोण्डा में विधिक साक्षरता शिविर का आयोजन श्री कृष्ण प्रताप सिंह , सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण गोण्डा की अध्यक्षता में किया गया। विधिक साक्षरता शिविर में सचिव श्री सिंह द्वारा ' विचाराधीन बन्दियों के शिकायतों के निराकरण ' के बावत जानकारी देते हुए बताया गया कि जेल में निरूद्ध विचाराधीन बन्दियों के अधिकारों की बात प्रत्येक स्तर पर होती रही है । सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्तियों ने अपने कई निर्णयों में सजायफ्ता और विचाराधीन कैदियों के अधिकारों के बारे में उल्लेख किया है । विचाराधीन कैदी या फिर सजायाफ्ता कैदी के अधिकार जेल में भी बने रहते हैं और कानून के हिसाब से ही उनके अधिकारों पर अंकुश लगाया जा सकता है । आपराधिक विधि के अन्तर्गत किसी भी व्यक्ति को तब तक दोषी नही माना जा सकता , जब तक कि न्यायालय आरोपी को दोषी नहीं मानता । जब भी किसी व्यक्ति के विरूद्ध कोई आरोप लगाया जाता है तो वह मात्र आरोपी होता है । ऐसे में उसे यह संवैधानिक अधिकार है कि उसे अपने बचाव का मौका मिले ।
इस सन्दर्भ में संविधान के अनुच्छेद -22 में मूल अधिकार है कि प्रत्येक आरोपी को बचाव का मौका दिया जाए । इसके तहत अदालत का कर्तव्य है कि जब भी कोई आरोपी अदालत में पेश हो तो वह उससे पूछे कि क्या उसे वकील चाहिए ? वकील न होने पर अदालत आरोपी को सरकारी खर्चे से वकील मुहैया कराती है । विधिक साक्षरता शिविर में सचिव द्वारा निःशुल्क विधिक सहायता के सन्दर्भ में सांविधानिक उपबन्ध , दण्ड प्रक्रिया संहिता में वर्णित उपबन्ध व माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिये गये अद्यतन निर्णयों पर भी विस्तृत रूप से जानकारी दिया गया।
इस अवसर पर जिला कारागार के प्रभारी अधीक्षक दीपांकर भारती , डिप्टी जेलर विवेक सिंह तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के लिपिक मुकेश कुमार वर्मा आदि अन्य कर्मचारीगण उपस्थित रहे ।