जिले में छुट्टा जानवरों से मिल सकती है राहत, गुजरात की कंपनी ने डीएम व सीडीओ से मिलकर काम करने की जताई इच्छा।
(जिले के दो गांवों को स्मार्ट विलेज के रूप में डेवलप करने पर कंपनी कर रही विचार, दुल्लापुर खालसा व रूद्रगढ़नौसी गांव शामिल)
रिपोर्ट दिलीप भटट गोन्डा।
गोन्डा। जनपद में छुट्टा गौ वंशों से निजात दिलाने को लेकर एक गुजरात की जानमानी कंपनी ने हाथ बढ़ाया है। कंपनी द्वारा जिले में एक गांव को चयनित किया गया है जहंा पर आने वाले दिनों में कई कोरियन कंपनियां मिलकर इन्वेस्टमेंट करने पर विचार कर रही हैं।
शुक्रवार को साउथ कोरिया से आया कंपनी का एक प्रतिनिधि मंडल डीएम व सीडीओ से मिलकर योजना के बारे में प्रजेन्टेशन के माध्यम से बताया तथा जिले में काम करने की इच्छा जताई जिस पर डीएम व सीडीओ ने सहयोग प्रदान करने का आश्वासन दिया।
बताते चलें कि गुजरात की स्मार्ट विलेज डेवलपमेन्ट कंपनी द्वारा जिले के एक गांव दुल्लापुर खालसा को चयनित किया गया है जहां पर छुट्टा गोवंशों को संरक्षित कर गोबर, गौ मूत्र, हड्डियों आदि के माध्यम से उत्पाद तैयार किए जाने की योजना बना रही है, तैयार किए उत्पादों की बिक्री अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर हो सकेगी। इसके अलावा जिले की सबसे बड़ी गौशाला रूद्रगढ़ नौसी में कंपनी द्वारा बाॅयो सीएनजी प्लांट भी लगाने पर भी विचार किया जा रहा है। कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर सुनील कुमार मिश्रा ने बताया कि आने वाले पांच वर्षों में कंपनी द्वारा जिले में बड़े इन्वेस्टमेंट की संभावना है।
इसके अलावा गोण्डा में अयोध्या रोड पर पराग द्वारा संचालित अवशीतन गृह को भी उच्चीकृत कर अमूल के सहयोेग से चिलिंग के साथ ही दुग्ध उत्पादों की पैकेटिंग करने का काम हो सकेगा जिसमें दूध की पैकिंग के साथ ही अन्य उत्पाद शामिल होगें। उन्होंने बताया कि पराग डेयरी पर प्रतिदिन संकलित किए जाने वाले दूध को रोजाना लखनऊ भेजना पड़ता जिस पर प्रतिवर्ष लाखों का खर्चा आता है, जनपद स्तर पर व्यवस्था हो जाने पर लाखों रूपए की बचत होगी।
उन्होंने यह भी बताया कि गौवंश पालकों से प्रति किलो की दर से गोबर खरीदने की योजना पर भी काम किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जिन गोवंश पालकों से दूध खरीदा जाएगा उनसे गोबर की भी खरीद होगी। कंपनी के मैनेजिंग डायेक्टर के अनुसार आने वाले दिनों में दूध व गोबर कलेक्शन के लिए ग्राम पंचायत स्तर पर लोगों को कंपनी द्वारा नियुक्त करेगी। उन्होंने बताया कि इस योजना के सफलतापूर्वक क्रियान्वित हो जाने पर बड़े पैमाने पर लोगों को स्थानीय स्तर पर रोजगार भी मिल सकेगा तथा छुट्टा गो वंशों से भी निजात मिलेगी और गौवंश आमदनी की जरिया बन सकेेगें।