आर पी यादव ब्यूरो चीफ / यू पी फाइट टाइम्स
कौशाम्बी। शहर ही नही अपितु जनपद के विभिन्न कस्बों की यातायात व्यवस्था को ई-रिक्सा चालक अव्यवस्थित करने पर तुले है। बेरोजगारी के चलते ई-रिक्शा की भरमार है। सड़कों से लेकर गलियों तक में इनकी धमाचैकड़ी से आम लोग परेशान हैं। बेरोजगारी व मंहगाई के चलते कम पढ़े लिखे लोगों के साथ ही पढ़े लिखे लोग भी ई-रिक्शा को अपना व अपने परिवार का पेट भरने के साधन के तौर पर अपना रहे हैं। वहीं दूसरी ओर लोगों की जीविका का संसाधन बन चुके ई-रिक्शा आम लोगों के लिए जितने सुविधाजनक है उतने ही समस्याओं की वजह भी है। सड़कों पर चलने वाले इन ई-रिक्शा चालकों में से अधिकतर के पास न तो ड्राईविंग लाइसेंस होता है न ही इनके पास ई-रिक्शा चलाने का कोई प्रशिक्षण होता है।
यात्रियों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने वाले ई रिक्शा चालकों में से अधिकतर के पास यातायात से जुड़े नियमों तक की कोई जानकारी नहीं होती। ई-रिक्सा चालको मे बड़ी संख्या नाबालिको की है। जिसके चलते यह रिक्शा चालक यात्री के हाथ देकर रुकने भर के इशारे करते ही बीच सड़क पर ही रिक्शा रोक देते हैं। कई बार इस तरह की हरकत करने से पीछे चलने वाले वाहनों या उस पर बैठे यात्रियों की सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है। चोटहिल होने के साथ ही अस्पताल भर्ती तक की नौबत आना पड़ती है। लापरवाही की यह कोई अकेला उदाहरण नहीं है। बल्कि रात के अंधेरे में इन रिक्शा चालकों के द्वारा हेड लाईट का भी प्रयोग नहीं किया जाता जिससे सड़क पर विपरीत दिशा से आ रहा। वाहन एवं सड़क पर चलने वाला यात्री इनकी चपेट में आकर घायल होता रहता है। जिले के कस्बों में ई-रिक्शा के लिये कोई चिन्हित पार्किंग स्थान नहीं है।
ऐसे में जिले के कस्बों में चलने वाले ई-रिक्शा सड़कों पर ही डेरा जमाए रहते हैं। सड़कों पर खड़े रहने की वजह से हर समय सड़क पर जाम की स्थिति बनी रहती है। वही सवारियों के साथ ही भाडा लादकर सडको मे दौड़ा रहे है। जिससे भी लोगो को भारी परेशानियो का सामना करना पड़ रहा है। चाहे बस स्टाप हो, रेलवे स्टेशन हो, मुख्य बाजार हो, चौराहे हो, सहित अनेक स्थानो पर भारी संख्या मे ई-रिक्सा चालक वाहनो को खड़ा करके यातायात को बधित करते है। कई बार यातायात पुलिस ईरिक्सा चालको को यातायात नियमो का पाठ पढ़ाया लेकिन कोई सुधार नहीं हो रहा।