अपने चाल-चलन को खराब मत होने देना, मर्यादा को मत तोड़ना

सन्त बाबा उमाकान्त जी का दशहरा सतसंग व नामदान कार्यक्रम 23, 24 अक्टूबर को उज्जैन में, सभी सपरिवार सादर आमंत्रित

जयपुर (राजस्थानगलत कर्मों की वजह से आगे नरकों में मिलने वाली भारी सजा से बचाने वाले, जीवों की मदद भलाई के लिए प्रभु द्वारा अपनी ताकत देकर यहां मृत्युलोक में भेजे गए, परमात्मा से मिलने का तरीका बताने वाले, इस समय के युगपुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 3 नवंबर 2020 सांय उज्जैन आश्रम में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि आप जब विश्वास को ख़त्म कर दोगे, गुरु की बातों पर विश्वास नहीं करोगे, गुरु भक्ति नहीं करोगे तो अग्नि में झोंक दिए जाओगे। कौन सी अग्नि? त्रिय ताप और पांच अग्नि (काम, क्रोध, लोभ, मोह, अंहकार की अग्नि)। काम की गर्मी जब बदन में आती है तब कोई ज्ञान नहीं रह जाता है। मां, बहन, बहू, बेटी की पहचान आंखों से खत्म होने लगती है। उस समय उसकी इच्छा की पूर्ति होनी चाहिए। चाहे पुरुष हो, चाहे स्त्री हो। दोनों के अंदर रहता है। जानवरों में भी ऐसा रहता है। जानवर मार खाते रहते हैं। कामी कुत्ता को उसकी औरत कुत्तिया कितनी प्यारी होती है। जैसे लोभी को दाम, जो लोभी होते हैं, चाहे ठग ही जाएं लेकिन लोभ लालच जब पैदा हुआ तक उनको दाम, रुपया, पैसा मिलना चाहिए। तो लोभ काम मोह भी एक अग्नि है। अहंकार नाश का कारण बनता है, वह भी एक अग्नि है। इसी में आदमी जलता रहता है। इसी में यह मन झोंक देता है। जब गुरु की बातों से विश्वास हट जाता है, त्रिय ताप- रजोगुण, तमोगुण, सतोगुण। ये हैं ताप, गर्मी देते हैं। यह जलाते नहीं है, यह किससे जलवाते हैं? जलन किससे होती है? इन पांचों से। कामी, क्रोधी, लोभी, लालची की इच्छा ही जल्दी पूरी नहीं होती है। ऐसे समुद्र में ढकेला जाता है कि निकल पाना बड़ा मुश्किल होता है। जैसे यहां समुद्र में कोई डूबने लग जाए, फंस जाए तो समुद्र का कोई पार नहीं है, कैसे निकल पाएगा? बीच समुन्द्र में अगर डाल दिया गया तो निकल पाना बड़ा मुश्किल हो जाता है। जैसे यहां पानी का समुद्र आप आंखों से देखते हो ऐसे ही जब आप साधना करोगे और अंदर में देखना चाहोगे कि इन चीजों का समुद्र कहां पर है। हालांकि उधर जाना पसंद नहीं करोगे क्योंकि उसका रास्ता खराब है और बहुत गंदगी बदबू है। रोने-चिल्लाने, चीखने की दर्दनाक आवाज भी आ रही है तो जाना पसंद नहीं करोगे। तकलीफों को देख नहीं पाओगे। और अगर देखना ही चाहो तो चले जाना नरकों की तरफ, जलती हुई आग ही आग दिखाई पड़ रही है। इतने बड़े समुद्र है, उसी में डूब, जल, दौड़, तड़प, चिल्ला रहे। तो यह जो बाहर की अग्नि है, उस अग्नि में ढकेल देगी। और फिर यहां रहोगे, यहां भी दुखी, तपते रहोगे। जब शरीर छूटेगा तो कर्मों के अनुसार वहां के समुद्र में, काम क्रोध के समुद्र में आप डाल दिए जाओगे। पड़े रहोगे, सुनवाई नहीं होगी। जल्दी निकल नहीं सकते हो। यह जिंदगी अंधकारमय हो जाएगी।

बुरे कर्मों का पाप किन परिस्थितियों में माफ हो जाता है

महाराज जी ने 4 अक्टूबर 2022 दोपहर जयपुर (राजस्थान) में बताया कि जिन्होंने इस सृष्टि को बनाया, उन्होंने कर्मों का विधान बनाया। तो कर्मों का विधान जब से बना तब से जीव इसमें फंस जाने लगे। कलयुग में बहुत ज्यादा मलीनता, गंदगी आ गई। लोगों के कर्म बहुत खराब हो गए। कुछ कर्म जान में, कुछ अनजान में बन जाते हैं। जान में- आदमी जानता है कि ऐसा करने से हम को सजा मिलेगी। जानता है कि चोरी, ठगी आदि अच्छा काम नहीं है, एक दिन हम पकड़े जाएंगे, हमको सजा मिल जाएगी, छिपा नहीं सकते हैं लेकिन करने की आदत बन गई। अब मन मानता नहीं है तो एक तो आदत वश लोग पाप, गलत काम कर डालते हैं और अनजान में भी हो जाता है। तो जान-अंजान दोनों में पाप की सजा भोगनी पड़ती है। कर्म प्रधान विश्व रच राखा। जो अनजान में बन जाता है उसकी माफी तो हो भी जाती है लेकिन जो जान में कर्म बनता है उसकी माफी नहीं होती है। देखो यह पेड़-पौधे, कुदरत की तरफ से खड़े कर दिए गए क्योंकि यह भी कभी मनुष्य शरीर में रहे होंगे। तब मनुष्य शरीर पाने का मतलब नहीं समझ पाए तो उनको इन योनियों में सजा मिल गई। अब इन पर अगर सन्त की दया हो जाए और यह जल्दी-जल्दी योनियों में जाने लग जाए या सीधे मनुष्य योनी देने की दया सन्त द्वारा इनके ऊपर हो जाए। उन योनियों में जो बुरे कर्म बनेंगे, उसका पाप नहीं लगता है, माफ हो जाता है। लेकिन आदमी को होश रहता है? आदमी में बुद्धि, विवेक, पांच तत्व है तो आदमी को सजा मिल जाती है। सजा मिलने लग गई, बहुत कर्म खराब हो गए, नरकों में जाने लग गए, वहां मार पड़ी, जब चिल्लाए, प्रभु को याद किया तो प्रभु ने सन्त को भेजा। या यू कहां गया, जब जब होय धर्म की हानि बढई असुर अधम अभिमानी तब तब धरी प्रभु मनुष्य शरीरा। वह खुद नहीं आते हैं। इनके जितने भी लोक हैं, वह सब अपनी जगह पर रहते हैं लेकिन अपना पावर देकर किसी न किसी को भेजते रहते हैं।

चाल चलन को खराब मत होने देना

महाराज जी ने 1 अगस्त 2020 सांय उज्जैन आश्रम में एक प्रसंग में बताया कि मां ने बोला, देख योगी! तेरे ऊपर औरतों का बड़ा हमला होगा। जब तेरे में सिद्धि आएगी और तेरी लोकप्रियता बढ़ेगी, तेरी बातों से लोगों को फायदा होने लगेगा तो हर तरह के लोग तेरे पास आएंगे। तो उनका भी हमला तेरे ऊपर हो सकता है। तो इस समय पर माया के रूप में है। माया महा ठगी, हम जानी। जो यह तुझको ठगने के लिए तैयार हो जाएगी। तो तू गुरु के वचनों के किले के अंदर रहना। गुरु की लक्ष्मण रेखा खींची हुई है, उस रेखा के अंदर रहना। गुरु की मर्यादा को मत तोड़ना। चाल-चलन को अपने खराब मत होने देना। और जब तूने घर को त्याग दिया है, गृहस्थाश्रम से तू अलग हो गया है, तेरा मन उधर से हट गया है तो मां-बहन की तरह से ही उनको मानना और समझना। तुम मुझको मां मानता, कहता है अभी? बोला, मां मानता हूं तुझको। तो तुझको बहुत सी मां मिल जाएगी, इसी तरह से उपदेश करने वाली, इसी तरह का प्यार करने वाली बहुत सी मां मिल जाएगी। तो उनसे भी सीख ले लेना लेकिन तेरी तरफ से यह रहे कि यह मेरी मां है। तो किले के अंदर रहना। भूख लगे तब खाना और और नींद खूब आए तब सोना। तुझको सारा स्वाद इसका मिल जाएगा जो मैं बोली हूं और इसी में तेरी तरक्की हो जाएगी।

सन्त बाबा उमाकान्त जी का दशहरा सतसंग व नामदान कार्यक्रम 23, 24 अक्टूबर को उज्जैन में

परम पूज्य परम सन्त बाबा उमाकान्त जी महाराज का दशहरा के अवसर पर सतसंग व नामदान कार्यक्रम ( स्वास्थ्य एवं समय परिस्थिति अनुकूल रहने पर) 23 अक्टूबर को सायं 4 बजे से व 24 अक्टूबर को प्रात: 10 बजे से बाबा जयगुरुदेव आश्रम, पिंगलेश्वर रेलवे स्टेशन के सामने, मक्सी रोड, उज्जैन (म.प्र.) में होगा। संपर्क: 9575600700, 9754700200.

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