ज्ञानेश्वर बरनवाल देवरिया
देवरिया। रुद्रपुर क्षेत्र के फतेहपुर गांव के लेहड़ा टोला में एक ही परिवार के पांच लोगों की निर्मम हत्या के बाद सत्यप्रकाश दुबे के पुत्र देवेश दुबे पांच दिन बाद पुलिस की कड़ी सुरक्षा के बीच लेहड़ा टोला स्थित घर पहुंचे। हत्यारों ने उनके माता-पिता एवं भाई-बहन की हत्या कर घर को तहस-नहस कर दिया है। घर में मलबे को देख देवेश फूट-फूट कर रोने लगा। यह देख वहां मौजूद सुरक्षा कर्मी भी भावुक हो गए। घर से 50 मीटर दूरी पर पुलिस की सुरक्षा में पहुंचे देवेश जैसे ही वाहन से उतरे कि दहाड़ मार रोने लगे। साथ चल रहे सुरक्षा कर्मियों ने देवेश को संभाला।
चौखट पर पहुंचते ही दहाड़े मारकर रोने लगे देवेश
घर के चौखट पर जैसे ही देवेश पहुंचे कि वह मम्मी- पापा एवं भाई व दोनों बहनों को याद कर जोर-जोर से चिल्लाने लगे। कहा हे भगवान मेरे माता-पिता एवं भाई बहनों को क्यों हमेशा के लिए हमसे छीन लिए। हत्यारों को मेरे मम्मी पापा एवं भाई बहनों की चीख पुकार पर दया भी नहीं आई। फिर देवेश फूट-फूट कर रोने लगे।
घर में कोई भी सामान सुरक्षित नहीं
घर के अंदर कोई भी सामान सुरक्षित नहीं है। हमलावरों ने अनाज रखने वाली डेहरी के अलावा बॉक्स, चूल्हा आदि को तोड़ दिया है।
मम्मी- पापा का फोटो देख चिल्लाने लगे देवेश
टूटे हुए बॉक्स में सत्य प्रकाश एवं किरण व देवेश के छोटे भाई गांधी तथा बहन सलोनी का भी फोटो मिला। यह देखकर देवेश रोने लगे। बॉक्स के अंदर कुछ धार्मिक पुस्तक मिली।
हत्यारे ने तोड़ दिया था सभी सामान
घर के अंदर मौजूद जो भी बॉक्स व अटैचियां मिली वह टूटी हालत में थी। हत्या करने आए लोगों ने घर के अंदर कोई भी सामान सुरक्षित नहीं छोड़ा।
भाजपा नेता शशांक मणि ने दिया एक लाख
पूर्व सांसद एवं सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल श्रीप्रकाश मणि त्रिपाठी के पुत्र भाजपा नेता शशांक मणि त्रिपाठी ने पीड़ित देवेश को अपनी तरफ से एक लाख नगद राशि सहायता के रूप में दिया। इसके अलावा उसकी बहन को नौकरी दिलाने के लिए आश्वासन दिया। इसके अलावा दोनों भाई देवेश एवं अनमोल की पढ़ाई की जिम्मेदारी ली।
कड़ी सुरक्षा के बीच घर ले गए देवेश
पीड़ित देवेश को अपर पुलिस अधीक्षक की देखरेख में उनके गांव लेहड़ा टोला लाया गया। इसके अलावा डिप्टी एसपी स्तर के अधिकारियों के साथ ही दर्जन भर से अधिक पुलिस इंस्पेक्टर एवं तीन कंपनी पीएसी के जवान भी मौजूद रहे।
गांव में एक घंटे रहे देवेश
सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए देवेश को सिर्फ एक घंटे ही गांव में रखा गया। इस दौरान वह अपने घर में सामान व घटना की बर्बरता को ही नजदीक से देखा। उसके पश्चात पुनः देवरिया के लिए रवाना हो गए।