नाम, सुमिरन ध्यान भजन, कर्मों को तोड़ने का है हथौड़ा, फट से टूटते हैं
उज्जैन (म.प्र.) कर्म आधारित संसार में कर्मों को ही काटने का सर्वोत्तम औजार देने वाले, असली चीज पर फोकस कराने वाले, प्रत्यक्ष दिखा कर विश्वास दिलाने वाले, वक़्त के पूरे समर्थ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि जो सच्ची चीज है, उसको नहीं खरीदते, लेते हो और जो झूठी चीज है, जो अपने काम न आए उसको खरीदने में लगे हुए हैं। आप सोचो, ये जो दुनिया की चीजें- सोना, चांदी, हीरा जो आज लोग खरीद रहे हैं, मरने के बाद किसी के काम आएगा? मौत तो आनी ही आनी है। उसी को इंसान भूल रहा है। मौत तो सामने खड़ी है। कब आ जाए, कोई भरोसा नहीं है। मौत तो इंतजार कर रही है कि इसको जो जीने के लिए समय मिला है, सांसों की पूंजी मिली है, जैसे ही खर्च हो तैसे ही हम इसके शरीर को गिरा दे, मिट्टी में मिला दे। इसके लिए मौत खड़ी हुई है। लेकिन इस चीज को भूल कर, कल के लिए समान इकठ्ठा करने में लगे हुए हैं। तो आप सब लोग भाग्यशाली हो कि आप घर से निकल कर के और असली चीज लेने के लिए,असला सौदा लेने के लिए यहां (सतसंग कार्यक्रम में) आए हो।
देखे बिन ना होय परतीती, बिन प्रतीत होय नहीं प्रीति
जो नहीं देखते हैं, उनको विश्वास नहीं होता है। लेकिन जो विश्वास कर लेते हैं और उस चीज को पकड़ के करने लगते हैं, जैसे नामदान लिया और नामदान लेने के बाद सुमिरन, ध्यान, भजन करने लगते हैं तो उनको मालूम हो जाता है कि ये दुनिया, संसार, देश, धरती, आसमान क्या है? इससे बहुत बड़े-बड़े देश हैं। बहुत बड़ी धरती तो नहीं है, आसमान ही जैसा कोमल दिखाई पड़ता है ऐसी वो धरती है, लेकिन इससे बहुत बड़ा है। ये जो चीज़े हैं, ये सब वहां की नकल है। असल चीज तो वहां है। तो जब देखता है तब आदमी को विश्वास होता है। देखे बिन ना होय परतीती, बिन प्रतीत होय नहीं प्रीति। तो आज आपको सतसंग में वो तरीका बताया जाएगा, नामदान दिया जायेगा। और पुराने लोग, जिनको मालूम हो गया सुमिरन, ध्यान, भजन करने का, नाम की कमाई करने का, सुरत को जीवात्मा को नाम से जोड़ने का तरीका, जब आप करोगे तब फायदा दिखेगा। आपसे अभी पूछा जाए कि भांग में क्या होता है? तो जो जानकार हो वो बताओगे की भांग एक पौधा होता है, उसकी पत्तियों को बट करके जब पीसते, घोल कर के पीते हैं तब नशा आता है। अब अगर ये तरीका नहीं मालूम है और पत्तीयां बहुत दे भी दी जाए तब भी नशा नहीं आएगा। तो उसे बटना पड़ेगा, रगड़ना पड़ेगा और जितना रगड़ा जाता है, जैसे मेहंदी को जितना रगड़ते हैं, उतना रंग देती है, ऐसे ही जब बराबर करेंगे तब रंग मिलेगा तब ये (अध्यात्मिक) चीज मिलेगी।
नाम, सुमिरन ध्यान भजन कर्मों को तोड़ने का है हथौड़ा
अगर किसी को बार-बार सेवा में, प्रचार-प्रसार में लगा दिया जाए, बार-बार अगर उससे काम लिया जाए, नए आदमी से, तो उसका मन भी भजन में लगने लगेगा। इसीलिए बहुत से रास्ते सन्तों ने निकाल दिए हैं। तो जब कर्म कटते हैं तब (अंतर में) सुनाई भी पड़ता है, दिखाई भी पड़ता है। तो कर्मों की वजह से दिखाई-सुनाई नहीं पड़ रहा है, आयतें बराबर उतर रही है। आपको तरीका बताऊंगा, इससे भी बहुत कर्म कटेंगे। इसी में अगर आदमी लग जाए, लगातार अगर देर तक बैठने लग जाए, कई घंटे बैठने लग जाए तो इससे ही कर्म कट जाएंगे। क्योंकि यह तो एक तरह से कर्मों को काटने का, ठोकने का हथौड़ा है। हथौड़ा जैसे किसी चीज पर हल्की चोट मारो तो वो न टूटे और हथौड़ा मार दो तो फट से टूट जाए। ऐसे ही ये जो अंदर में कर्मों का पहाड़ लदा है, उसको तोड़ने का यह हथौड़ा है। सुमिरन, ध्यान, भजन, नाम चिंगारी है। कैसी? जैसे एक चिंगारी अगर रूई के पहाड़ जैसे ढेर पर पड़ जाए तो जला करके राख कर दे, ऐसे ही है ये।