बीमारियों और पाप कर्म से बचो-बचाओ, अंडा, मांस, मछली, शराब और शराब जैसे तेज नशे का सेवन छोड़ो-छुड़वाओ
सीकर (राजस्थान) देश, समाज, परिवार और व्यक्ति के लिए अति नुकसानदायक शराब और मांसाहार के नेगेटिव परिणामों को रेखांकित कर समाजोत्थान में निरंतर लगे, इस वक़्त के पूरे समरथ सन्त सतगुरु दुःखहर्ता, उज्जैन के बाबा उमाकान्त जी महाराज ने रक्षाबंधन कार्यक्रम में अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि जीव की रक्षा करना बहुत बड़ा पुण्य और हत्या करना बहुत बड़ा पाप है। आप किसी जीव की हत्या मत करो और न आपकी वजह से किसी जीव की हत्या हो। कुछ मांस खाने वाले लोग कहते हैं कि मैं जानवरों को नहीं मारता हूं, मैं हत्या नहीं करता हूं। मैं तो पैसा देकर के मांस को खरीद करके लाता हूं। अगर सब शाकाहारी हो जाए तो किसी जीव की हत्या नहीं होगी। आपको नहीं मालूम है कि मारने, काटने, मांस निकालने, बनाने, खाने, खिलाने वाले, सबको बराबरी का पाप लगता है। इसलिए बच्चियों घर में तो अब आना ही नहीं चाहिए।
मछली में भी जीव है उसको मत खाओ
मछली तालाब की सफाई के लिए बनाई गई है। कोई भी गंदी चीज डाल दो, मछली खा जाती है। अंडा क्या है? माताएं मासिक धर्म होती हैं, खराब खून इकट्ठा होकर बच्चा बनता है। ऐसे ही मुर्गियों का खराब खून, उनके लैट्रिन-पेशाब का खराब हिस्सा जब इकट्ठा होता है तो अंडा बन जाता है। डॉक्टर लोग जो नहीं जानते हैं, कहते हैं, अंडा खाओ, ताकत आ जाएगी। दिन में अंडा खाते हैं, रात में किसी न किसी नीचे के सुराख से बाहर निकल जाता है। गर्मी जब बढ़ती है तो कहीं न कहीं से निकलती है। गर्मी में देखो, जब हवा ज्यादा बढ़ती है तब टायर फट जाता, पंचर हो जाता है। अंडा खाते तो है कि तंदुरुस्त बन जाएंगे लेकिन ऐसे (सींकिया पहलवान) बन जाते हैं की हवा अगर चले तो उड़ जाए। अंडा खाने से ताकत नहीं आएगी। ये विकार पैदा करता है। मत खाना।
रोग क्यों बढ़ रहे हैं
खान-पान गलत होने की वजह से खून बेमेल हो जाता है और इस शरीर के सिस्टम से ताल-मेल नहीं खाता है इसलिए बीमारियां शरीर में आ जाती हैं। एक तरह की बीमारियाँ मौसम के बदलाव से, बढ़ती उम्र के हिसाब से आती है और दूसरी तरह की बीमारियाँ जो गलत खान-पान, गलत कर्मों की वजह से आई बिमारी भोगनी पड़ती है जो बच्चे, जवान को होती है और बुड्ढे को तो होती ही होती है। इसलिए जिससे बीमारी पैदा होने वाली है, उससे बचो। मांस, मछली, अंडा मत खाना।
शराबी के आंखों से मां-बहन बेटी की पहचान हो जाती है खत्म
शराब का नशा ऐसा होता है जिसमें मां बहन बेटी, अपने-पराये की पहचान खत्म हो जाती है। नशे में धुत शराबी आदमी के मुंह पर कुत्ता पेशाब कर जाए, कोई उसके जेब से मोबाइल, उसके घर से धन ले जाए, उसकी बहू-बेटियों के ऊपर गलत नजर कोई डाल जाए तो वो कुछ कर पायेगा? कुछ नहीं। वह तो नशे में पड़ा है। चाहे घर का आदमी हो, चाहे देश का अधिकारी-कर्मचारी हो, चाहे नेता गण हो, शराब के नशे में रहेंगे तो सेवा क्या कर पाएंगे? नहीं कर पायेंगे। इसलिए शराब के लिए तो मुमानियत होना ही चाहिए।