- पूरे हर्षौल्लास के साथ मनाया गया अशोक विजयदशमी एवं देशना कार्यक्रम:
- रामकोला नगर के वार्ड संख्या एक अंबेडकर नगर में हुआ कार्यक्रम का आयोजन।
धनंजय पाण्डेय यूपी फाइट टाइम्स
कुशीनगर।कलिंग युद्ध में हजारों सैनिकों के जान के बदले मिली जीत के बाद चक्रवर्ती सम्राट अशोक ने जब युद्ध के मैदान में गए तो देखा कि चारोतरफ लाश ही लाश है और खून से पूरा युद्ध मैदान लाल हो गया है उसी बीच एक नन्हा बौद्ध भिक्षु घूम रहे है वह भी बिना डरे,जब उस भिक्षु ने बिना डरे सम्राट अशोक से वार्ता किए तो चक्रवर्ती सम्राट अशोक करुणा से भाव विभोर हो गए और कलिंग युद्ध के विजय के दशवे दिन बौद्ध धम्म का मार्ग चुना तभी से अशोक धम्म विजयदशमी मनाया जाता है।चक्रवर्ती सम्राट अशोक के हृदय परिवर्तन युद्ध को त्याग कर बुद्ध को अपनाने का संदेश देती है।उक्त बाते बृहस्पतिवार को नगर पंचायत रामकोला के वार्ड नंबर एक अंबेडकर नगर में स्थित अंबेडकर उद्यान में आयोजित अशोक विजयदशमी एवं देशना कार्यक्रम में आए लोगों को संबोधित करते हुए महाराष्ट्र से आए दी बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया के ट्रस्टी/चेयर मैन चन्द्र बोधी पाटिल ने अपने संबोधन में कही।
श्री पाटिल ने आगे कहा कि वर्तमान समय में दुनियां के अनेक देश आपस में लड़ रहे, वर्तमान परिवेश में दुनिया को युद्ध नहीं बल्कि मानवता के लिए बुद्ध की आवश्यकता है।
कार्यक्रम के शुभारंभ दी बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया के अध्यक्ष भदंत आर्यवंश महाथेरो ने त्रिशरण पंचशील के साथ शुरू हुआ।उसके बाद कार्यक्रम में उपस्थित लोगो को बताया कि कलिंग विजय के बाद दसवें दिन का महत्वपूर्ण क्षण शामिल था जब सम्राट अशोक ने अपने शाही परिवार के साथ, प्रतिष्ठित बौद्ध भिक्षु, भंते मोग्गिलिपुत्त तिष्य से धम्म की शिक्षा प्राप्त की थी
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि मुंबई से आए दी बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय ट्रस्टी/महासचिव शंकर राव ढेंगरे ने बताया कि चक्रवर्ती सम्राट अशोक ने बौद्ध धम्म के प्रचार-प्रसार की अपनी प्रतिबद्धता में हजारों स्तूपों का निर्माण, शिला लेखों और धम्म स्तंभों की स्थापना और बौद्ध धर्म के विस्तार के लिए अपनी बेटी संघमित्रा और बेटे महेंद्र को बौद्ध भिक्षुओं के रूप में श्रीलंका भेजना शामिल था, जहां उन्होंने 84,000 स्तम्भ खड़े करवाया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता बाल किशुन बौद्ध एवं संचालन रवि गौतम ने की। कार्यक्रम को संबोधित करने वालों में प्रमुख रूप से ई.यस डी भास्कर,डॉ.अनिल गौतम,यम पी बौद्ध,श्रवण पटेल,यम यस पटेल, दी बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया के जिला अध्यक्ष महेंद्र बौद्ध,सुनील कुमार, सुनंदन बौद्ध,बुद्धिराम, धर्मेन्द्र,सतेंद्र,सुरेंद्र मास्टर एवं दी बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इंडिया के मंडल अध्यक्ष छोटे लाल भारती रहे।