मालिक को हमेशा हाजिर नाजिर समझो, जो मैं कह रहा, कर रहा, बोल रहा हूँ उसे वो देख सुन रहे हैं तो आपको हर जगह बचाएंगे

सन्त किसी का बुरा नहीं चाहते हैं, सन्तों की बातों को लोग अटपटा मान लेते हैं

उज्जैन (म.प्र.)जिनको हमेशा हाजिर नाजिर समझने पर हर जगह बचाने वाले, बंदी छोड़, दया की बरसात करने वाले, विरोध से न घबराने वाले, अपने भक्तों को हर तरह से बचाने के लिए तैयार, इस समय के महापुरुष, पूरे समरथ सन्त सतगुरु, दुःखहर्ता, उज्जैन वाले बाबा उमाकान्त जी महाराज ने 3 फरवरी 2021 सांय भरूच (गुजरात) में दिए व अधिकृत यूट्यूब चैनल जयगुरुदेवयूकेएम पर लाइव प्रसारित संदेश में बताया कि मरीज का मन जो चीज नुकसान करें, उसी को खाने का कहता है। जैसे शुगर का मरीज मीठा ही मांगता है। बुखार जिसको हुआ, बदन में गर्मी आई तो आइसक्रीम, श्रीखंड, छाछ ही मांगेगा। अब यदि वैद्य ने उसको बता दिया कि हां ले लो, कोई बात नहीं है तो समझ लो शरीर का नाश हो जाएगा। गुरु अगर सही रास्ता न बतावे, सही उपदेश न दे लोगों को तो धर्म-कर्म सब नष्ट हो जाएगा, असला मानव धर्म सब खत्म हो जाएगा। तो सन्तों ने (समझाने में) कोई कसर नहीं छोड़ी। कबीर साहब ने कहा है- अरे इन दोनों राह न पाई, हिंदू अपनी करै बड़ाई। गागर छुवन न देई। वैश्या के पायन-तर सोवै यह देखो हिंदुआई। मुसलमान के पीर-औलिया मुर्गी मुर्गा खाई। खाला केरी बेटी ब्याहै घरहिं में करै सगाई। इन दोनों राह न पाई। उन्होंने दोनों को फटकारा, समझाया- पत्थर पूजे हरि मिले बंदा पूजे पहाड़। कंठी बांधे हरि मिले तो बंदा बांधे कुंदा। लेकिन विरोध बहुत हुआ। क्यों? विरोध सन्तों का हुआ ही है। जगत भगत का बैर है, चारों जुग प्रमाण। दुनिया चाहने वाले, दीन चाहने वाले को कभी पसंद नहीं करते हैं। यह काल भगवान का देश है। काल के नियम का उल्लंघन करते ही हैं इसलिए उनको लोग पसंद नहीं करते हैं। विरोध बहुत हुआ, लेकिन वह विरोध से घबराते नहीं हैं। उनका लक्ष्य उद्देश्य एक रहता है। सन्त जो चाहते हैं, उसकी नींव पड़ जाए। सन्त का जो रास्ता होता है, जिसको मत कहते हैं, जो रास्ता वो बताते, उससे वह जुड़ जाए, बराबर प्रयास उन्होंने किया।

सन्तों की बातों को लोग अटपटा मान लेते हैं

महाराज जी ने 23 अक्टूबर 2020 सांय उज्जैन आश्रम में बताया कि सन्तों की बातों को लोग अटपटा मान लेते हैं और लोग विरोध भी करते हैं क्योंकि उनको अच्छा नहीं लगता है। लेकिन जितने भी पूरे सन्त हुए, कोई भी बोलने में कोई कसर नहीं रखे। सन्त की वाणी है। अरे अगिया लाग बड़ी भारी गगन में, ब्रह्मा भी जल गए, विष्णु भी जल गए और जल गए शिव जटाधारी गगन में, अरे अगीया लाग बड़ी भारी गगन में। देवी भी जल गए, देवता भी जल गए, जल गए ऋषि मुनि झारी गगन में, अरे अगीया लाग बड़ी भारी गगन में। तो देवता का स्थान कहां होता है? स्वर्ग बैकुंठ, अंडलोक जिसको कहा गया वहां होता है। ऋषि-मुनियों की पहुंच भी ज्यादातर वहीं तक होती है। ब्रह्म से आगे नहीं बढ़ पाते हैं। तो यह सब नाशवान है, सब खत्म होने वाले हैं। जो नाशवान होता है, वह बंधन में होता है, वह आगे नहीं बढ़ सकता है। तो बंदी छोड़ कौन होते हैं? बंदी छोड़ सतगुरु होते हैं। वह बंधन को तोड़ देते हैं।

सन्त किसी का बुरा नहीं चाहते हैं

महाराज जी ने 2 दिसंबर 2022 प्रातः बावल रेवाड़ी( हरियाणा) में बताया कि सन्त जब आते हैं तो उनकी महिमा ऐसे नहीं पता चलती है। सन्त का ऐसे नहीं मालूम होता है कि इनके अंदर पावर शक्ति होगी। इनसे हमारा इतना फायदा भलाई होगी, इसका पता नहीं चलता है। लेकिन जब युक्ति बताते हैं तब मालूम हो जाता है। कहते हैं युक्ति से मुक्ति मिलती है। रहते मनुष्य शरीर में ही है। मां के पेट में बनते, पलते, बाहर निकलते हैं, इस धरती पर घूमते हैं, आसमान के नीचे रहते हैं। साधारण जीवन होता है। बहुत दिखावे का नहीं, कोई अहंकार नहीं, छोटापन रहता है। सबके सामने लघुता का उदाहरण पेश करते हैं। जो हो सकता है मदद ही करते हैं। बुराई किसी की नहीं चाहते हैं। तो धीरे-धीरे जब लोग उनके नजदीक जाते हैं और लोगों को उनकी दया का अनुभव हो जाता है तो वही लोग उनको मानने, उनके बारे में अन्य लोगों को बताने लग जाते हैं। सन्त सतसंग सुनाते हैं और दर्शन का लाभ देते हैं, दृष्टि डालकर के, स्पर्श करके दया बरसाते हैं। इस तरह से लोगों के अंदर पहले विश्वास भरते हैं।

मालिक को हमेशा हाजिर नाजिर समझो

महाराज जी ने 26 जुलाई 2020 सांय उज्जैन आश्रम में बताया कि मालिक को हमेशा हाजिर नाजिर समझो और हृदय में उनको बसाये रखो। और प्रेमीयों हमेशा याद रखो, जो मैं कह रहा हूं, वह सुन रहे हैं, जो मैं कर रहा हूं, वह देख रहे हैं, जो मैं बोल रहा हूं, वह सुन रहे हैं। तो मालिक को सदैव हाजिर-नाजिर समझो। हाजिर नाजिर समझोगे तो आपको हर जगह बचाएंगे। उनको भूल जाओगे, पर्दा डाल लोगे तो पर्दा बराबर आंखों के सामने रहेगा और ब्रह्म और भूल के माया, काल के देश में आप फंस जाओगे। नाम दान ले करके भी आप फंस जाओगे। इसीलिए आज का सतसंग इसी बात का है कि गुरु, मालिक, बचाने वाले को हमेशा याद रखो। गुरु आपको हर तरह से बचाने के लिए तैयार है। आपको सोचने की जरूरत है। इच्छा प्रकट करो, संकल्प बनाओ इस बात का कि हम बुराई से बचे रहे, इन चीजों से बचे रहे, अपने लक्ष्य पर आ जाए और हम अपने घर पहुंच जाएं, हमारा मनुष्य जीवन सार्थक हो जाए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!